अरे भाई ! दिसंबर की तरह रहना और जीना सीखें

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दिसंबर की सर्दी में कोटा बैराज पर सी गल: फोटो साभार अखिलेश कुमार

– विवेक कुमार मिश्र

vivek kumar mishra
विवेक कुमार मिश्र

दिसंबर तो दिसंबर ही है । कैलेंडर के आखिर में पड़ा होता है । दिसंबर पर कहां किसी की दीठि जाती है , जो भी है वह सामने के महीनों को देखता है । किसी को जनवरी दिखता है तो किसी को फरवरी दिखता है । अधिक से अधिक किसी को जुलाई दिख जाता है । वह भी बच्चों का एडमिशन कराने के कारण, प्रवेश भी अब कहां जुलाई में होता वह भी अप्रेल में होने लगा फिर दिसंबर का दिखना कहा से आसान होगा । दिसंबर और महीनों की तरह फड़फड़ाते, खड़खड़ाते नहीं दिखता । दिसंबर अपनी गति से, अपने समय से आता है । दिसंबर का आना आना होता है । एक प्रतीक्षा के बाद दिसंबर आता है, घूमते घूमते समय का पहिया जब ग्यारह महीने घूम जाता है तो दिसंबर अंतिम महीने के रूप में आता है । बहुत बार हम कैलेंडर में दिसंबर को देख भी नहीं पाते कि अगले वर्ष का कैलेण्डर , अगले वर्ष की डायरी फड़फड़ाते हुए आ जाते हैं । दिसंबर के हाथों में अगले वर्ष की डायरी, कैलेंडर ऐसे थमाते हैं कि विचारा दिसंबर तो कहीं कुछ हो ही नहीं या दिसंबर के होने का कोई मतलब ही नहीं । दिसंबर में लोग-बाग जनवरी की चर्चा कर रहे होते हैं या क्या करें क्या न करें इसी चर्चा में व्यस्त रहते हैं । कोई ये नहीं सोचता कि दिसंबर पर क्या बीत रही होगी । दिसंबर का अपना अस्तित्व है दिसंबर की अपनी उपस्थिति है ये क्या हुआ कि उसकी उपस्थिति अंत में है तो उसकी कोई खैर तबियत ही न लें । अरे भाई ! दिसंबर की तरह रहना और जीना सीखें । दिसंबर एकदम से आखिर में होता है पर एक पल के लिए भी दुखी नहीं होता न ही परेशान न चिंतित, अपने ढ़ंग से आह्लादित रहता है । कहते हैं कि दिसंबर है यह आते आते आता है लेकिन दिसंबर कब चला जाता है किसी को पता ही नहीं चलता । एकदम से व्यस्तता में छोड़कर दिसंबर चला जाता है । दिसंबर में लोग-बाग सर्दी के मारे दुबके ही रहते हैं । घरों, कोठरी में या अलाव से उठकर कोई बाहर नहीं निकलता । सबको ही दिसंबर की उपस्थिति सर्द हवाओं के साथ दिखती है । अब जो है सो है । दिसंबर तो दिसंबर है उसे उसी रूप में आना है । दिसंबर के साथ आनंद में डूबों – उत्सव मनाओ , घूमों-गाओं , नाचों-खाओं , मगन रहो – दिसंबर कहां कहता है कि बस पड़े रहो ।
दिसंबर के साथ बहुत कुछ जुड़ा होता है । तो यह भी सच है कि दिसंबर के साथ बहुत कुछ छुटने वाला भी होता है । दिसंबर जतन करना और सहेजना सीखना है । दिसंबर एक तरह से हमें सीख देता है कि क्या कर लिया और क्या नहीं किया तो क्यों नहीं किया ? दिसंबर पश्न करता है और प्रश्नों के साथ उत्तर देते हुए चलना सिखाता है । वह कहता है कि कोई भी सफलता यूं ही नहीं मिलती , उसके पीछे हमारे कर्म की , लगन की पूंजी लगी होती है । बिना कर्म किए कोई भी फल की उम्मीद न करें । दिसंबर के पास यूं ही किसी को कुछ देने के लिए नहीं होता । जब आप पूरे साल कुछ न कुछ कर रहे होते हैं तो आपका मूल्यांकन करते आपके खाते में लिखने के लिए दिसंबर के पास इतना कुछ होता है कि दिसंबर का खाता भी भर जाता है ।
दिसंबर हिसाब-किताब लगाते चलता है यह कहते हुए चलता है कि आप दिसंबर में हैं तो पूरे साल की उपलब्धियों का खाका चला आता है । दिसंबर एक तरह से पूरे वर्ष के लिए तैयार करता है । आगे चलने की सीख देता है । दिसंबर यह नहीं कहता है कि तुम यहीं बैठे रहो बल्कि दिसंबर कहता है कि अपना कर्म करों । केवल वह कर्म नहीं जो छुटा है, उसको तो पूरा करो ही करों करों । उसके अलावा आने वाले वर्ष के लिए तैयार हो जाओ ।
दिसंबर एक पूर्वा पर क्रम तैयार कर देता है यह करना है तो यह नहीं करना है । यह करते करते यहां तक चले जाओगे । दिसंबर एक तरह से आने वाले वर्षों के लिए एक प्लान तैयार कर देता है कि आप इस तरह चलों इस तरह से कार्य करों । इसी में जीवन की सार्थकता सफलता है । दिसंबर पर विचार करते करते कुछ कार्य योजना तैयार करते चलें जो दिसंबर में बनती ही बनती हैं और जिसपर चलते चलते न चलते भी लोग-बाग अंततः चलते ही हैं –
1. दिसंबर के साथ ही मूल्यांकन करना शुरु कर दें कि हम कहां हैं ? क्या वस्तुस्थिति है ? और हमें कहां जाना है ?
2. क्या जहां तक जाना था वहां तक हम चले गए ? यदि चलें गये तो यह उपलब्धि और संतोष का विषय है। यदि नहीं गये तो क्यों नहीं ? इस पर विचार करें – उन कारणों को खोजें कि ऐसा क्यों हुआ और उसे दूर करें ।
3. दिसंबर के साथ ही नये वर्ष की एक प्लानिंग बना लें और उस पर कार्य करें ।
4. दिसंबर शांति के साथ कार्य करते हुए सोच-विचार के साथ आगे बढ़ने को कहता है ।
5. दिसंबर का कोई भी फैसला केवल व्यक्तिगत नहीं होता । वह सामाजिक जीवन जीने की प्रक्रिया से जुड़ा होता है । आपको यह करना होता है कि आप देखें कि क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है ।
6. दिसंबर एक संधि स्थल पर खड़ा होता है । एक वर्ष जा रहा होता है और एक वर्ष आ रहा होता है । इस समय दिसंबर एक सुलझे हुए आदमी की तरह व्यवहार करता है ।
7. समय का हिसाब किताब दिसंबर संभालता है । यह अपने ही अंदाज में आदमी को नये सिरे से दुनिया से जोड़ते हुए आगे बढ़ने की अपील करता है । दिसंबर हमेशा एक गये हुए समय से आते हुए नये समय संसार में आपको जोड़ देता है ।
8. दिसंबर सोच कर ठहर कर चलने को कहता है । सहन शक्ति को बढ़ाता है । यह कहते हुए चलता है कि उम्मीद रखो आगे अच्छा होगा ।
9. दिसंबर सकारात्मकता के घोड़े पर सवार होकर आता है और आपको कर्मठ बनाते हुए जीवन में अनंत उर्जा को संभाल कर चलने की सीख देता है । दिसंबर बैठ जाने के लिए नहीं होता बल्कि नये सिरे से चलने की सीख देते हुए हमेशा आगे बढ़ते जाने को कहता है ।
दिसंबर का पाठ बड़े बुजुर्गो के पाठ की तरह होता है कि यह करों यह मत करों । इसी के साथ अनुभव का भंडार होता है कि यदि साल भर में कुछ नहीं सीख समझ पाये तो तुम्हें कोई और नहीं दिसंबर ही सीखा सकता है । दिसंबर कठोरता से फ़ैसले लेने की सीख देता है । अपने निर्णय को ठीक मानते हुए चलने को कहता है । दिसंबर के लिए कोई बहाना नहीं होता, टालमटोल को नापसंद करते हुए दिसंबर का विश्वास बस आगे बढ़ जाने में है ।
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