‘लेकिन बात इतनी सीधी होती नहीं’

gift
 यदि हमें कोई गिफ्ट पसंद नहीं तो उसे अलमारी के एक उपेक्षित कोने में डाल दिया जाता है,उपेक्षित लेकिन नज़र में हमेशा रहता है। जैसे ही कोई अवसर आया उस कोने से एक सामान निकाल बतौर गिफ्ट कहीं चिपका दिया जाता है। इसे ‘गिफ्ट रीसाइक्लिंग’ भी कह सकते हैं।और ये गिफ्ट दिल से नहीं दिमाग़ से दिया जाता है,एक कड़ी आगे बढ़ वो गिफ्ट अब किसी दूसरी अलमारी में एक उपेक्षित कोने में पड़ जाता है,आगे के सफर के लिए।

-आभा गुप्ता-

abha gupta
आभा गुप्ता

‘गिफ्ट’ ये शब्द ऐसा है जो छोटे से लेकर बड़े सभी को आकर्षित ही नहीं बल्कि हर्षित भी करता है।गिफ्ट लेना अच्छा लगता है।ये सच है कि गिफ्ट की कोई कीमत नहीं होती,वो बेशकीमती होता है।लेकिन कुछ लोग गिफ्ट देने में अपनी इतनी होशियारी लगा देते हैं कि वो गिफ्ट काँइयापन का बेमिसाल नमूना बन जाता है। जिसे मिलता है वो इसे न अपने पास रख सकता है और न किसी को दे सकता है। सीधी सी बात जो हमें पसंद नहीं वो हम ‘गिफ्ट’ के नाम पर किसी और को क्यों दें? लेकिन बात इतनी सीधी होती नहीं। यदि हमें कोई गिफ्ट पसंद नहीं तो उसे अलमारी के एक उपेक्षित कोने में डाल दिया जाता है,उपेक्षित लेकिन नज़र में हमेशा रहता है।जैसे ही कोई अवसर आया उस कोने से एक सामान निकाल बतौर गिफ्ट कहीं चिपका दिया जाता है। इसे ‘गिफ्ट रीसाइक्लिंग’ भी कह सकते हैं। और ये गिफ्ट दिल से नहीं दिमाग़ से दिया जाता है,एक कड़ी आगे बढ़ वो गिफ्ट अब किसी दूसरी अलमारी में एक उपेक्षित कोने में पड़ जाता है,आगे के सफर के लिए।”हम तो केवल ब्रांडेड बैग,चप्पल,परिधान और कास्मेटिक इस्तेमाल करते हैं”, मुँह बिचका कर ये कहने वालीं ,गिफ्ट में लोकल, सेल और रिजेक्शन का माल इधर से उधर बडी उदारता से करतीं हैं ।किसे दोष दें ये तो पूरी चेन ही है ऐसी मानसिकता की ? लोग, ख़ासकर महिलाएं ये देखकर गिफ्ट देती हैं कि लेने वाले की औकात क्या है। यदि ये सोचकर गिफ्ट दिया जाए कि देने वाले की औकात क्या है तो गिफ्ट के नाम पर गिफ्ट ही दिया जाएगा। वैसे गिफ्ट देना इतना ज़रूरी है तो एक फूल, एक चॉकलेट,एक ग्रीटिंग कार्ड ,एक कलम भी पर्याप्त है आपकी भावनाओं को प्रकट करने के लिए लेकिन कोई भी इतना हल्का बनना नहीं चाहती,सो अलमारी के उपेक्षित कोने से गिफ्ट की तलाश की जाती है।
हालांकि हमेशा ही ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं ,कभी कभी जल्दबाजी में गिफ्ट सलेक्शन में भी कुछ निम्न स्तरीय वस्तु, कपड़ा आ जाता है,ऐसा मेरे साथ हुआ है और जब गिफ्ट लेने वाली ने उस कमी की ओर इशारा किया तो मुझ पर घड़ों पानी ही पड़ गया। अनजाने ही सही मैं भी इसी गिफ्ट मानसिकता वाली ही समझ ली गई होउंगी।

Aabha gupta

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
1 year ago

शादी विवाह,जन्म दिन पर गिफ्ट देने की परंपरा अब धीरे-धीरे दम तोड़ रही है.विवाह में लिफाफा गिफ्ट का बेदाग प्रचलन अभी कदमतर है.आभा जी ने ठीक ही कहा है गिफ्ट की वस्तुएं रिसाइकल होकर चलन से बाहर हो जाती हैं

Manu Vashistha
Manu Vashistha
1 year ago

अब तो गिफ्ट का चलन ही बेकार लगने लगा है। पहले किसी बच्चे को यदि एक शर्ट पीस, खिलौना भी किसी रिश्तेदारी से मिल जाता तो बच्चा ही नहीं पूरा परिवार खुश होकर धन्य हो उठता। आजकल देने वाले भी कबाड़ को अच्छी तरह गिफ्ट कर देते हैं, तो लेने वाला भी उसकी कीमत आंकने लगता है। मुझे एक सच्चा किस्सा याद आ रहा है एक शादी में किसी ने दुल्हन को सोने की अंगूठी मुंह दिखाई में दी। दुल्हन के घरवाली औरतें अंगूठी को उछाल उछाल कर नाप तौल करने लगीं और बोली, हल्की है इससे तो ना ही देते अच्छा था, मानों उनके हाथ में माप तौल मशीन फिट हो। उस दिन से उन्होंने सब जगह नगद देना शुरू कर दिया। अब रूपए तो जितने हैं उतने ही रहेंगे न ????????