
-विपक्षी महा विकास अघाड़ी गुट के विधायकों ने शपथ नहीं लेने का फैसला कर दिया संकेत
-देवेंद्र यादव-

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी महा विकास अघाड़ी गुट के जो विधायक जीते हैं उन्होंने विधायक पद की शपथ नहीं लेने का फैसला किया।
जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तब कांग्रेस और शिवसेना उद्धव ठाकरे के नेताओं ने परिणाम को स्वीकार करने से इनकार किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में भाजपा नीत गठबंधन महायुति चुनाव में धांधली कर जीता है। हम इस परिणाम को स्वीकार नहीं करते हैं। मैंने 24 नवंबर को अपने ब्लॉग में लिखा था कि क्या महाराष्ट्र चुनाव में गठबंधन के जीते प्रत्याशी विधायक पद की शपथ नहीं लेंगे। शनिवार 7 दिसंबर को इंडिया गठबंधन ने फैसला किया कि महाराष्ट्र चुनाव में उनके जीते हुए प्रत्याशी विधायक पद की शपथ नहीं लेंगे क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकार चुनाव में धांधली कर बनी है। महागठबंधन इसकी जांच की मांग कर रहा है।
इंडिया गठबंधन के जीते हुए प्रत्याशियों के शपथ नहीं लेने से महाराष्ट्र की राजनीति और महाराष्ट्र की भाजपा नीत सरकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा, मगर 7 दिसंबर शनिवार के दिन जहां एक तरफ इंडिया गठबंधन ने एक जुटता दिखाई वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इंडिया गठबंधन को लेकर दिया गया बयान सुर्खियों में रहा। उनके बयान से सवाल उठने लगा कि क्या इंडिया गठबंधन सुरक्षित रहेगा या टूट जाएगा। जहां तक इंडिया गठबंधन मजबूती और सुरक्षित रहने का सवाल है तो इसका जवाब 7 दिसंबर शनिवार के दिन महाराष्ट्र ने दे दिया है। यह बताता है कि इंडिया गठबंधन अभी भी एकजुट है मजबूत है और सुरक्षित भी है। लेकिन सवाल अभी यह है कि भविष्य में इंडिया गठबंधन बरकरार रहेगा, या टूट जाएगा। जिसकी आहट पश्चिम बंगाल से सुनाई दी। लेकिन पश्चिम बंगाल की यह आवाज पहली बार नहीं सुनाई दी है। जब भाजपा सरकार के खिलाफ इंडिया गठबंधन का गठन हो रहा था तब भी पश्चिम बंगाल से इसी तरह की आवाज सुनाई दी थी और लग रहा था कि दीदी नाराज है। मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में दीदी गठबंधन के साथ खड़ी नजर आई और उसका फायदा कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में मिला या नहीं मिला दीदी को 29 लोकसभा सीट जीतने में बड़ी कामयाबी मिली।
सवाल यह है कि क्या इंडिया गठबंधन के घटक दलों का 2024 का लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही मकसद पूरा हो गया क्योंकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 37 और टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में 29 लोकसभा की सीट जीत ली है। केंद्र में भाजपा नीत सरकार ने अपना तीसरा कार्यकाल का अभी 1 वर्ष पूरा भी नहीं किया है। क्या ममता बनर्जी भाजपा नीत सरकार के बाकी चार साल से घबरा रही हैं, क्योंकि 4 साल के बीच में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव से पहले होने हैं। शायद ममता बनर्जी इसीलिए मोदी सरकार से कोई बड़ा पंगा लेना नहीं चाहती हैं, और इसीलिए इशारों ही इशारों में वह कांग्रेस नीत महागठबंधन खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व पर संदेह कर रही हैं। जहां तक राहुल गांधी का सवाल है, यदि वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देशभर में भारत जोड़ो यात्रा नहीं करते तो इंडिया महागठबंधन के घटक दलों को लोकसभा की इतनी सीट भी नहीं मिलती क्योंकि भाजपा सरकार के खिलाफ देश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने ही माहौल बनाया था। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने अडानी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। समझा जाता है कि राहुल गांधी को अडानी मुद्दे के कारण अपनी संसद सदस्यता खोनी पड़ी थी, इसके बावजूद भी उन्होंने यह मुद्दा एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा। अब जबकि संसद के भीतर कांग्रेस और महागठबंधन मजबूत है ऐसे में राहुल गांधी और कांग्रेस अडानी के मुद्दे को कैसे छोड़ देंगे क्योंकि राहुल गांधी का मूल मंत्र डरो मत संघर्ष करो और जीतो का है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)