
-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। तकनीकी खामियों के कारण एलआईसी की वेबसाइट का पोर्टल हिंदी में होने के कारण तमिलनाडु के राजनेताओं ने केंद्र सरकार पर जमकर विरोध करने लगे।
बता दे कि मंगलवार को लाइफ इंश्योरेंस आफ इंडिया लिमिटेड के वेबसाइट का पोर्टल सिर्फ हिंदी में रिफ्लेक्ट हो रहा था एलआईसी अधिकारियों के अनुसार कुछ तकनीकी खामियों के कारण एलआईसी वेबसाइट के पोर्टल में सिर्फ हिंदी भाषा दिख रही थी, हालांकि एलआईसी ने इस तकनीकी खामियों के लिए खेद भी प्रकट किया।
लेकिन राजनीति दलों को तो मुद्दे मिलना चाहिए। बेवसाइट हिंदी में देखकर सोशलमीडिया पर राजनीतिक प्रतिक्रिया आना शुरू हो गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उपमुख्यमंत्री उदय निधि स्टालिन एआईएडीएमके प्रमुख पलनीस्वामी एमडीएमके प्रमुख वाईको समेत जहाँ विपक्षियों ने हमले शुरू कर दिए, वही एनडीए के सहयोगी दल पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस आदि दलों ने भी हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार और एलआईसी मैनेजमेंट पर जमकर बरसे।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा वर्तमान केंद्र सरकार एलआईसी के माध्यम से हिंदी थोपने का प्रयास कर रहे हैं यह विभिन्नता में एकता के खिलाफ साजिश है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अब तो वेबसाइट पर भाषा चुनने का भी ऑप्शन हिंदी में ही आता है ऐसे में गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए हिंदी थोपना नहीं तो और क्या है? उनका आरोप था एलआईसी पूरे भारत को लीड कर रही है हर भाषा के लोग एलआईसी में इन्वेस्ट कर रहे हैं ऐसे में एलआईसी के वेबसाइट पर सिर्फ हिंदी वर्जन देखना बेहद चिंताजनक है।
उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र सरकार और लाइफ इंश्योरेंस आफ इंडिया के मैनेजमेंट पर सवाल उठाते हुए लिखा एलआईसी किसी भाषा और क्षेत्र के अधिकार में नहीं है, हर इंडियन एलआईसी में इनवेस्टमेंट किया है ऐसे में एलआईसी की वेबसाइट पोर्टल पर सिर्फ हिंदी दिखाई देना गैर हिंदी वीडियो के साथ छलावा के अलावा कुछ नहीं है।
केंद्र सरकार के प्रबल समर्थक पूर्व मुख्यमंत्री को पनीर सेल्वम ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया, एवं हिंदी थोपने का विरोध जताते हुए लिखा केंद्र सरकार का तमिलनाडु पर हिंदी थोपने का मंसूबे कभी पूरा नहीं होगा।
एआईएडीएमके महासचिव एडिपाडि पलनीस्वामी ने भी लिक वेबसाइट हिंदी में होने का जमकर विरोध किया उन्होंने कहा की केंद्र सरकार बार-बार तमिलनाडु पर हिंदी थोपने का प्रयास कर रहा है जो बेहद ही निराशाजनक और निंदनीय है हम इनका जोरदार विरोध करेंगे।
पीएमके संस्थापक एस रामदास ने भी एलआइसी पोर्टल का वेबसाइट हिंदी में होने का चिंता जताया और भारत सरकार को चेताया, तमिलनाडु में हिंदी थोपने का जिद न करें।
हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री तमिल मनीला कांग्रेस के महासचिव जी के वासन ने इसे टेक्निकल खामियां बताया।
बहरहाल तमिलनाडु के राजनीतिक दलों हिंदी भाषा के खिलाफ एकजुट नजर आ रहा है ।
जबकि एलआईसी के अधिकारियों बेवसाइट में तकनीकी खामियां बताते हुए उसे ठीक कर लेने का दावा किया है।
(लेखक तमिलनाडु के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)