
-देवेंद्र यादव-

वह कहते हैं कि तुम्हारा कोई वजूद नहीं है। जब हम हमारे वजूद को दिखाने मैदान में उतरे, तो वह अब कहते हैं कोई उन्हें समझाएं यदि उन्होंने अपना वजूद दिखाया तो हम हार जाएंगे।
इन दिनों कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच यही चल रहा है। जैसे ही कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना वजूद दिखाने मैदान में उतरी तो दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी सहित वह तमाम दल जो कांग्रेस के राजनीतिक वजूद पर सवाल उठा रहे थे वह तिलमिलाने लगे और अप्रोच करने लगे कि कांग्रेस को समझाओ वरना हम हार जाएंगे और दिल्ली में बीजेपी जीत जाएगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना राजनीतिक दम और वजूद दिखाने उतरी कांग्रेस के इस निर्णय से कांग्रेस का कार्यकर्ता और कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता दोनों खुश और उत्साहित नजर आ रहे हैं। मगर इंडिया गठबंधन के घटक दल परेशान नजर आ रहे हैं क्योंकि इन घटक दलों का राजनीतिक वजूद कांग्रेस के वजूद पर टिका हुआ है। यदि कांग्रेस मजबूत होगी तो यह दल कमजोर हो जाएंगे।
राजनीतिक गलियारों और मीडिया में दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा है कि आम आदमी पार्टी के समर्थन में समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस खुलकर सामने आ गई हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इंडिया गठबंधन टूट गया है क्योंकि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस भी अपनी दम पर मैदान में है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के घटनाक्रम से एक बड़ा सवाल निकल कर सामने आ रहा है जिस पर ना तो राजनीतिक पंडित और ना ही राजनीतिक विश्लेषक चर्चा कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए एकजुट हुए थे या फिर भाजपा को। यदि विपक्ष के सभी दल भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए एकजुट हुए थे, तो फिर कांग्रेस के राजनीतिक वजूद पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने देशभर में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ जो माहौल बनाया था इसका सबसे बड़ा फायदा समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश और तृणमूल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में मिला।
क्या समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस को लगने लगा है कि यदि कांग्रेस दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़कर मजबूत हो गई तो इसका असर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है, और शायद इसी की चिंता समाजवादी पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सता रही है। अखिलेश यादव दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को समर्थन देकर कांग्रेस पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन सवाल अभी भी यही है कि इंडिया गठबंधन के दल कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं या फिर भाजपा को सत्ता से हटाना चाहते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)