
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस सहित सारा विपक्ष पहलगाम हमले के बाद सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था, मगर सरकार ने यह बात नहीं मानी। अब कुछ दिनों बाद संसद का मानसून सत्र शुरू होगा। क्या कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष संसद के सत्र में पहलगाम हमले का मुद्दा जोर शोर से उठाएगा, या फिर बिहार में चुनाव आयोग के नए फरमान विशेष गहन पुनरीक्षण में उलझ कर रह जाएगा। यह इसलिए क्योंकि कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल बिहार में चुनाव आयोग के नए फरमान को लेकर टेंशन में आ गया है। विपक्ष को लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी वोटो की चोरी कर अपनी सरकार बनाने का प्रयास करेगी। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद से लेकर सड़क तक यह आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव में वोटो की चोरी कर सत्ता में बैठी हुई है।
विपक्ष के लिए दोनों ही मुद्दे भारतीय जनता पार्टी की सरकार को घेरने के लिए महत्वपूर्ण और गंभीर है। मगर कांग्रेस को अक्सर मुद्दों से भटकते हुए और भारतीय जनता पार्टी के जाल में फसते हुए देखा है। सवाल यह है कि संसद सत्र में पहलगाम हमले के मुद्दे को कांग्रेस सहित विपक्षी दल गंभीरता से उठाएंगे, या फिर बिहार में चुनाव आयोग के फरमान में उलझ कर रह जाएंगे। जुलाई में बिहार के मतदाताओं का विशेष गहन पुनरीक्षण ( एसआईआर ) खतम हो जाएगा और अगस्त में बंगाल में शुरू हो जाएगा। अगर बिहार में एक होकर यहां इस विशेष गहन पुनरीक्षण को नहीं रोक पाए तो चुनाव आयोग के हौसले बहुत बढ़ जाएंगे।
कांग्रेस समर्थक पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने 9 जुलाई को बिहार बंद करने का आह्वान किया है। चुनाव आयोग के बिहार में नए फरमान को लेकर, पहले दिन से ही पप्पू यादव जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे, बिहार को लेकर सबसे ज्यादा चिंता पप्पू यादव को ही है। पप्पू यादव एक मात्र नेता है जो संसद से लेकर सड़क पर बिहार और बिहार की जनता की आवाज को उठाते हैं। चुनाव आयोग के नए फरमान को लेकर भी सबसे ज्यादा विरोध पप्पू यादव ही करते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर सड़क से लेकर संसद तक उठाने का मन बना रही है। बिना बड़ी लड़ाई के चुनाव आयोग की इस साजिश को नहीं रोका जा सकता। राजनीतिक दल इस बात को याद रखें कि जनता का जागरूक करना पड़ता है। बिहार में वोटर लिस्ट में बने रहने के लिए मय दस्तावेजों के एक फार्म भरकर देना पड़ रहा है। गरीब रोज कमाकर खाने वाले के पास न तो इतना टाइम है और ने ही उसे इसकी गंभीरता मालूम है वह फार्म भरकर जमा करवाए। रसीद ले। एक हफ़्ते से ज्यादा निकल चुका है। 25 जून से यह काम शुरू हुआ है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)