
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने संसद के भीतर कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में गुजरात में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को हराएगी। क्या राहुल गांधी का यह सपना साकार होगा। राहुल गांधी के लिए यह सवाल भी है और चुनौती भी है, क्योंकि 1990 से ही कांग्रेस गुजरात की सत्ता से बाहर है। जब राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे तब कांग्रेस को लगभग तीन दशक गुजरात की सत्ता से बाहर हुए हो जाएंगे। ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस ने गुजरात की सत्ता में वापसी करने के कदम नहीं उठाए। 2017 में कांग्रेस ने 77 सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी को 99 सीटों पर रोक दिया था। लेकिन 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने 156 सीट जीतकर गुजरात के भीतर इतिहास लिख दिया। जबकि 2022 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति गुजरात में इतिहास रचने लायक नहीं थी। फिर भी भारतीय जनता पार्टी इतिहास रचने में कामयाब हुई और कांग्रेस की शर्मनाक हार हुई।
1990 से लेकर अब तक कांग्रेस के पास गुजरात में मजबूत और कद्दावर नेताओं की कोई कमी नहीं थी। इसके बावजूद कांग्रेस गुजरात में सत्ता के करीब आने के बाद भी अपनी सरकार बनाने में कामयाब क्यों नहीं हुई। जबकि 2004 के बाद, केंद्र की सत्ता और कांग्रेस का पावर एक ही हाथ में था और वह हाथ था गुजरात के नेता अहमद पटेल का।
कांग्रेस की सत्ता और संगठन का पावर एक ही हाथ में होने के बावजूद कांग्रेस गुजरात में कमजोर क्यों होती चली गई। सत्ता में वापसी नहीं कर पाई, यह रहस्य अभी भी बरकरार है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुजरात में लगभग 11 लोकसभा सीट जीती थी। कांग्रेस गुजरात का विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई, जबकि कांग्रेस की स्थिति गुजरात में 2009 में मजबूत थी और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती थी। क्या कांग्रेस के उस समय के रणनीतिकारों ने केंद्र में अपनी सरकार बनाने के लिए गुजरात में कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में बलि चढ़ा दी। कांग्रेस को उसका खामियाजा 2014 से अभी तक उठाना पड़ रहा है। जो कांग्रेस 2009 में गुजरात की 11 लोकसभा सीट जीती हो वह गुजरात में अब एक-एक सीट के लिए तरस रही है। जबकि गुजरात के भीतर कांग्रेस के पास अभी भी वही नेता मौजूद है जो नेता 2009 में कांग्रेस के पास थे। सवाल खड़ा होता है कि 2009 के नेता कमजोर हो गए या फिर उन्हें कमजोर कर दिया गया है। गुजरात में कांग्रेस प्रयोग करना बंद करें और छानबीन करे कि 2009 वाले गुजरात कांग्रेस के नेता कहां है और किस हाल में है। राहुल गांधी गुजरात को लेकर गंभीर हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी का महत्वपूर्ण अधिवेशन 5 से 6 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में होने जा रहा है। इस अधिवेशन को इतिहास से जोड़ा जा रहा है क्योंकि 61 साल पहले गुजरात में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के अधिवेशन को इतिहास से जोड़कर किया जा रहा है तो राहुल गांधी और कांग्रेस हाई कमान को इस अधिवेशन में विशेष रूप से गुजरात के उन नेताओं को भी बुलाना चाहिए जिनके कारण गुजरात में कांग्रेस मजबूत नजर आती थी। 1980 में जब श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश की सत्ता में वापसी की थी तब बड़ा रोल गुजरात के आदिवासी नेताओं का रहा था। उनके परिवार जन आज भी गुजरात में मौजूद हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)