
-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडापाडि पलनीस्वामी एवं एआईएडीएमके नेता केपी मुनुसामी तथा सांसद एम थंबीदुरै का मंगलवार को अचानक दिल्ली जाना और गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को एआईएडीएमके नेताओं एवं पूर्व मुख्यमंत्री पलनीस्वामी की अमित शाह से इस मुलाकात को आगामी 2026 के तमिलनाडु के विधान सभा चुनाव में गठबंधन से जोड़ कर देखा जा रहा है।
जबकि एआईएडीएमके सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन एवं तमिलनाडु में द्विभाषीय फार्मूला से जुड़ा हुआ है। एआईएडीएमके सूत्रों का कहना है कि यह सच है कि डीएमके हमारा सबसे बड़ा शत्रु है और और डीएमके सरकार ने 4 सालों के दरमियान तमिलनाडु को गर्त में पहुचाया है। राज्य की शासन व्यवस्था बदहाल है। विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। ऐसे में तमिलनाडु की जनता को बरगलाने के लिए परिसीमन एवं हिंदी थोपने के मुद्दे को लेकर डीएमके सरकार अनर्गल प्रलाप कर रही है।
हम भी जनसंख्या की सांख्यिकी के आधार पर लोकसभा क्षेत्र का परिसीमन के खिलाफ है। द्विभाषीय फॉर्मूला हमारी भी मांग है। हमारी पार्टी ने केंद्र सरकार को इसके लिए मेमोरडम भी प्रस्तुत किया है और केंद्र सरकार खुले तौर पर कह रही है कि परिसीमन से किसी भी राज्य की सीट कम होने की संभावना नहीं है।
लेकिन डीएमके इस संवेदनशील मुद्दे को बल देकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है जो बिल्कुल गलत है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों लोकसभा में अभिभाषण के दौरान केंद्र सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने यह जोर देकर कहा था कि त्रिभाषाय फार्मूला से किसी भी राज्य को कोई समस्या नहीं होना चाहिए। उन्होंने तमिलनाडु सरकार से पिछले दो सालों से मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल माध्यम से कराने की अपील की। लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं चाहती। केंद्र सरकार हर क्षेत्रीय भाषा का विकास चाहती है उन्होंने संसद में ही डीएमके सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी तमिल थोपने के आरोप हमारे ऊपर मढ रहे हैं। उन्होंने जोर देते हुआ कहा कि यदि 2026 में एनडीए की सरकार बनती है तो वह तमिल माध्यम में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराएगी।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री एडापाडि पलनीस्वामी से पत्रकारों ने गठबंधन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की बात की तो उन्होंने आगामी विधानसभा में वह भाजपा के साथ जाने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि हम देश की राजधानी में अपने पार्टी मुख्यालय खोलने के उद्देश्य से आए हैं। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह को परिसीमन एवं द्विभाषीय फार्मूला के प्रति अपनी पार्टी का स्टैंड बता दिया है।
गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा की चुनाव के वक्त समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर आगामी 2026 का चुनाव लड़ेंगे और डीएमके को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक मजबूत गठबंधन तैयार करेंगे।
वहीं तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अन्नामलै त्रिभाषाय फार्मूला से तमिलनाडु के लोगों को होने वाली लाभ के बारे में बता रहे हैं। वह एनईपी 2020 के समर्थन में साक्षरता अभियान चला रखे हैं। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की नीति को आलोचना करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार ने 2024 से 2025 में संस्कृत भाषा के बढ़ावा देने के लिए 11 करोड रूपए खर्च किए हैं। 2025.26 के लिए 10 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की है। फिर संस्कृत और हिंदी को लेकर यह दुर्भावना के क्या मायने है?
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)