
-कांग्रेस का मेरा वोट मेरा अधिकार अभियान
-नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस अभियान में लगाने पर ही मिलेगी सफलता
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस को देर से ही सही एहसास तो हुआ कि यदि भाजपा को हराना है तो मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। इसी मकसद से कांग्रेस ने उत्तराखंड से अपने अभियान मेरा वोट मेरा अधिकार की शुरुआत कर दी है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के राजनीतिक सलाहकार गुरमीत सिंह सप्पल ने उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के अभियान मेरा वोट मेरा अधिकार की जानकारी दी !
मैं लंबे समय से अपने ब्लॉग में लिख रहा था, यूं ही नहीं कांग्रेस के मतदाता घटे। यदि कांग्रेस को भाजपा को हराना है तो मतदाता सूचियों पर गंभीरता से ध्यान देना होगा, और कांग्रेस ने इसकी शुरुआत उत्तराखंड से कर दी है।
जिस प्रकार से मल्लिकार्जुन खड़गे के राजनीतिक सलाहकार गुरमीत सिंह सप्पल ने मतदाता सूचियों पर कांग्रेस की गंभीरता को बताया और दर्शाया है कि यदि उस पर कांग्रेस ने गंभीरता से देश भर में काम कर लिया तो पार्टी को 2029 के लोकसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी मिल सकती है।
भाजपा के रणनीतिकारों ने 2014 के बाद कांग्रेस और जो विपक्षी दल विभिन्न राज्यों की सत्ता मैं है उन्हें अपने जाल और गलतफहमी में उलझा कर रखा।
तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस गलतफहमी में थी कि वह अपनी दम पर चुनाव जीत रही है जबकि सच्चाई यह है कि दोनों ही पार्टियां, पश्चिम बंगाल दिल्ली और पंजाब से कांग्रेस को खत्म करने के लिए एक रणनीति के तहत अघोषित रूप से भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से चुनाव जीत रहे थे।
यदि इसकी झलक देखनी है तो उड़ीसा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव हैं। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस खत्म हो गई और जब कांग्रेस खत्म हो गई उसके बाद इन दोनों ही राज्यों में बीजू जनता दल और आम आदमी पार्टी को भी राज्य के विधानसभा चुनाव में हराकर भाजपा ने सत्ता से बाहर कर दिया।
अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है और तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। पश्चिम बंगाल में आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की नजर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समय रहते भाजपा के चुनावी रणनीतिकारों के इरादों को समझ गई और उन्होंने भाजपा पर मतदाता सूची में हेर फेर करने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने यहां तक धमकी दी की यदि चुनाव आयोग ने उनकी नहीं सुनी तो वह चुनाव आयोग के दिल्ली स्थित दफ्तर पर आकर धरना भी दे सकती हैं। मगर सवाल यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले ममता बनर्जी की तरह आम आदमी पार्टी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मतदाता सूचियो में गड़बड़ी करने का आरोप भाजपा पर लगाया था। लेकिन परिणाम क्या हुआ। आम आदमी पार्टी चुनाव हार कर दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई और भारतीय जनता पार्टी लंबे इंतजार के बाद दिल्ली की सत्ता में वापस आई।
भले ही कांग्रेस ने, मेरा वोट मेरा अधिकार अभियान की शुरुआत कर दी है लेकिन कांग्रेस को यह समझना होगा कि इस अभियान में देश भर में लंबे समय से सत्ता और संगठन पर कुंडली मारकर बैठे बड़े नेताओं को घर-घर पहुंचाना होगा। जो नेता विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़कर जीते या हारे कांग्रेस हाई कमान को अपने इस महत्वपूर्ण अभियान में गंभीरता से लगाना होगा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को केवल कार्यकर्ताओं के भरोसे नहीं छोड़ना होगा। इस अभियान की कमान प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर प्रदेश के बड़े नेताओं को देनी होगी साथ ही कांग्रेस को इस अभियान के लिए अलग से कांग्रेस के भीतर एक विभाग बनाना होगा और विभाग को कागजों में नहीं बल्कि जमीन पर उतारना होगा तभी कांग्रेस अपने अभियान मेरा वोट मेरा अधिकार में कामयाब होगी। राहुल गांधी को इस पर देश के जिला मुख्यालय, प्रदेश मुख्यालय पर बड़े अनुभवी नेताओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस अभियान की शुरुआत करनी चाहिए। राहुल गांधी के प्रेस कांफ्रेंस करने से राहुल गांधी के बब्बर शेर भी इस अभियान को गंभीरता से लेंगे और ईमानदारी से जुटेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)