
-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा में आज सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई है जिसमें एनईपी के माध्यम से हिंदी थोपने और सांख्यिकी हिसाब से तमिलनाडु में संसदीय सीटों के घटने की अंदेशा पर चर्चा होनी है। जहां सर्वदलीय बैठक में सम्मिलित होने के लिए एआईएडीएमके और पीएमके समेत डीएमके के सहयोगी दलों ने स्वीकृति दी है वहीं भारतीय जनता पार्टी एवं जीके वासन की पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस ने इस सर्व दलीय बैठक का बहिष्कार किया है।
बहरहाल तमिलनाडु की राजनीति में एक दूसरे दलों पर कटाक्ष एवं आरोप प्रत्यारोप का दौरा जारी है। मंगलवार को भी तमिलनाडु की फिजाओ में नेताओं ने हिंदी थोपने और सांख्यिकीय विस्तार के लिए अपनी दलील पेश की।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी विरोध एवं संख्यिकीक आधार पर सीटों के कम होने का अंदेशा जताते हुए तमिलनाडु की जनता से और युवाओं को जल्द शादी करने एवं जनसंख्या घनत्व बढ़ाने की अपील की। उन्होंने तमिलनाडु के आवाम से अपील की कि युवा अधिक से अधिक संतान पैदा करें एवं जनसंख्या घनत्व बढ़ाएं जिससे सांख्यिकी के आधार पर तमिलनाडु का नुकसान ना हो।
वहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार जबरदस्ती हमें तीसरी भाषा अपनाने के लिए जोर डाल रही है। लेकिन हिंदीभाषी राज्यों में कहीं भी तमिल सीखने के लिए तमिल प्रचार सभा स्थापित क्यों नहीं की? जब द्विभाषी फॉर्मूला से तमिलनाडु सुखी संपन्न एवं प्रगति पर है तो फिर तीसरी भाषा की जरूरत ही क्या है?
मुख्यमंत्री के इस बयान पर तमिलनाडु भाजपा इकाई के अध्यक्ष अन्नामलाई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डीएमके अपनी राजनीतिक हित साधने के लिए त्रिभाषीय फार्मूला का विरोध कर रही है। त्रिभाषा फार्मूला से हिंदुस्तान के सभी राज्यों का भला होगा। एक दूजे की सभ्यता संस्कृति को सीखने में मदद मिलेगी। लेकिन बांटने की राजनीति करने वाली डीएमके अपने राजनीतिक निहित स्वार्थ के चलते हिंदी का विरोध कर रही है ताकि यहां के ग्रामीण क्षेत्र के गरीब तबके के लोग त्रिभाषा फॉर्मूला से वंचित रहे और उनकी राजनीतिक रोटी चलती रहे।
उन्होंने सांख्यिकी के आधार पर सीटों के घटने के बारे में सवाल करते हुए कहा कि तमिलनाडु की जनता पुरुष और महिलाएं दोनों शिक्षित और ज्ञानी हैं। उन्होंने सांख्यिकी घनत्व को सामान्य रखा इसलिए तमिलनाडु खुशहाल है और आगे भी रहेगा। लेकिन मुख्यमंत्री का यह बयान समझ से परे है कि लोग जल्द शादी करें और अधिक से अधिक बच्चे पैदा करें। आखिर क्या उनकी शिक्षा दीक्षा पढ़ाई लिखाई एवं देखभाल मुख्यमंत्री करेंगे? वहीं एआईएडीएमके नेता पूर्व मुख्यमंत्री पलनीस्वामी डीएमके को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं। उनका कहना है भाजपा और डीएमके सिर्फ नाम के लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं लेकिन वे चल रहे हैं साथ-साथ। हम हिंदी का विरोध करते हैं लेकिन हम इससे राजनीतिक लाभ लेना नहीं चाहते।
बहरहाल तमिलनाडु की विधानसभा में हिंदी थोपने एवं संख्यिकीक घनत्व के लेकर चर्चा के बाद ही पता चलेगा आखिर यहां की राजनीतिक पार्टियां चाहती क्या है?
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)