
-देवेन्द्र यादव-

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संसद के भीतर बाबा साहब अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद, जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ वह कई अहम मुद्दों से ध्यान हटाकर राजनीतिक गलियारों और मुख्यधारा के मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस घटना के बाद राजनीतिक नेताओं ने जो चाले चली वह चर्चा का विषय है। जहां राजनीतिज्ञ और आम जन अमित शाह के बयान को गंभीरता से ले रहे हैं वहीं 19 दिसंबर को संसद परिसर की घटना को राज नेताओं के चाल बताकर मजे भी ले रहे हैं। अमित शाह द्वारा संसद के भीतर डॉ अंबेडकर पर दिया गया बयान भी गंभीर था और बयान के बाद संसद परिसर में 19 दिसंबर को जो घटना घटित हुई वह भी गंभीर थी। लेकिन जिस इंडिया ब्लॉक को महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद बिखरता हुआ देखा जा रहा था उसके सभी घटक इस घटना से एकजुट नजर आए। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के नेतृत्व और उसके द्वारा उद्योगपतियों के खिलाफ उठाए जा रहे मुद्दों को लेकर इंडिया गठबंधन में दरार नजर आने लगी थी। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस की सबसे बडी सहयोगी समाजवादी पार्टी संभल जैसे मुद्दे पर जोर दे रही थी। लेकिन डॉ अम्बेडकर पर अमित शाह के बयान के बाद बसपा प्रमुख मायावती को भी सामने आना पडा।
दूसरी ओर यदि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाओं पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नजर नहीं आएगा। दोनों ही राज्यों में भाजपा के बड़े नेताओं के निशाने पर गृहमंत्री अमित शाह नजर आएंगे। अमित शाह के द्वारा संसद के भीतर बाबा साहब अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संसद और बाहर गृहमंत्री के बयान का जबरदस्त विरोध किया। उन्होंने अमित शाह से अपने बयान पर माफी मांगने और प्रधानमंत्री से अमित शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह के बचाव में ट्वीट कर कांग्रेस को घेरा। अमित शाह अपने बयान पर छिडे विवाद को लेकर प्रेस के सामने मुखातिब हुए तब लगा कि वह अपने बयान पर खेद व्यक्त करेंगे मगर ऐसा हुआ नहीं बल्कि वह कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते रहे।
कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी नीतियों को लेकर राजनीतिक रूप से घेरते थे। अचानक से राहुल गांधी और कांग्रेस का ध्यान अमित शाह के द्वारा भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद अमित शाह पर आकर टिक गया। जबकि पार्लियामेंट के सेशन के पूरे समय राहुल गांधी और कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर रही थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सवाल खड़े कर रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी संसद सत्र से गायब क्यों हैं।
जब संसद सत्र समाप्त हुआ तब संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह साथ नजर आए और दोनों की मौजूदगी में शीतकालीन सत्र के अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करने की घोषणा हुई। अमित शाह के बयान को लेकर दलित वर्ग में नाराजगी बरकरार है और कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथ मजबूती से इस मुद्दे को उठा रही है। राहुल गांधी पर मुकदमा दर्ज हो गया है मगर राहुल गांधी डरो मत झुको मत की नीति पर कायम नजर आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)