
-देवेंद्र यादव-

महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव को लेकर चर्चा हो रही है कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों में सीट शेयरिंग को लेकर पेच फंसा हुआ है। चर्चा तो यह भी सुनाई दी कि इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा दल कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए सहयोगी दलों के सामने झुकना चाहिए। राहुल गांधी अपने सहयोगी दलों के सामने झुके नहीं बल्कि उन्होंने अपने सहयोगी दलों को संजीवनी देने का काम किया है, क्योंकि अकेले सहयोगी दल महाराष्ट्र और झारखंड में मजबूत भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला नहीं कर सकते हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है भारतीय जनता पार्टी आज भी कांग्रेस की राजनीतिक ताकत से डरती है, भले ही चुनाव में परिणाम कांग्रेस के अनुकूल कम आते हैं मगर भारतीय जनता पार्टी को घबराहट कांग्रेस से ही होती है।
जहां तक राहुल गांधी का अपने सहयोगी दलों को संजीवनी देने का सवाल है, इसके लिए हमें फ्लैश बेक में जाना होगा और उत्तर प्रदेश से समझना होगा। भारतीय जनता पार्टी को 2023 के लोकसभा चुनाव में बहुमत से दूर उत्तर प्रदेश में ही रखा था जहां इंडिया गठबंधन ने 80 में से 43 लोकसभा की सीट जीती थी।
भारतीय जनता पार्टी को 243 सीटों पर रोकने में उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की संजीवनी बूटी ने बड़ा काम किया था। इसे समझने के लिए हमें 2022 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालनी होगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 125 विधानसभा सीट मिली थी। समाजवादी पार्टी बहुमत के करीब भी नहीं पहुंच पाई थी यदि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में इतनी मजबूत होती तो वह 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बना लेती। मगर सरकार भारतीय जनता पार्टी ने बनाई थी। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को मात्र एक सीट मिली थी, लेकिन उसके बाद लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 36 सीट मिली क्योंकि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन साथ में चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में राहुल गांधी की संजीवनी काम कर गई। दलित और मुस्लिम मतदाताओं को राहुल गांधी इंडिया गठबंधन की तरफ खींचने में कामयाब हुए। राहुल गांधी के प्रभाव के कारण समाजवादी पार्टी को यादव और पिछड़ी जातियों के अलावा मुसलमान और दलितों के एक तरफा वोट मिले इसलिए समाजवादी पार्टी को 36 लोकसभा की सीट मिली। जबकि कांग्रेस को दलित और मुस्लिम मतदाताओं ने तो एक तरफा वोट किया मगर यादव और पिछड़ी जाति का वोट कांग्रेस को एक तरफा नहीं मिला इस कारण कांग्रेस कम सीट जीत पाई। दलितों का वोट राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अभियान संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ के कारण इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट हुआ। इसका बड़ा उदाहरण बहुजन समाज पार्टी है जिसे उत्तर प्रदेश में एक भी लोकसभा की सीट नहीं मिली। यदि बहुजन समाज पार्टी भी उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में शामिल होती तो उसकी ऐसी दुर्गति नहीं होती।
इंडिया गठबंधन में ज्यादातर पार्टियां ऐसी हैं जो अपने-अपने राज्यों में पहले की अपेक्षा कमजोर है और वह भारतीय जनता पार्टी के सामने अकेले अपने दम पर टिक नहीं पा रही हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस सहयोगी दलों के प्रति बड़ा दिल दिखा कर उन्हें संजीवनी दे रही है तो इसे सहयोगी दल कांग्रेस की कमजोरी समझने की भूल न करें, क्योंकि इन दलों को अपने-अपने राज्यों में कमजोर कांग्रेस ने नहीं किया है बल्कि भारतीय जनता पार्टी ने किया ह।ै इसका ज्वलंत उदाहरण उड़ीसा है जहां हाल ही में विधानसभा के चुनाव हुए थे वहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने बीजू जनता दल को हराकर अपनी सरकार बनाई है। यह वही बीजू जनता दल हैं जो केंद्र की भाजपा सरकार को सहयोग करते रहे थे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)