
-डॉ. रमेश चंद मीणा

श्वेत पंखुड़ियों का स्पर्श मधुर,
हरसिंगार मानो चित्रित स्वप्न,
सजीव रंगों का जादू सा सिंगार,
रजनी में जैसे शशि रजत किरण।
नर्म पंखुड़ियाँ झुकतीं नीचे,
मानो नत ग्रीवा बणी-ठणी,
हर लहराता फूल अद्वितीय,
सौंदर्य का कैनवास है धनी।
हवाओं संग नाचते फूल,
ज्यों कलाकार कर तूलिका,
हर पंखुड़ी में छिपी है कृतिका,
जो अमूक ही सब जाए बोल।
ओस की बूँदें जब नहलाएं,
फूलों पर जैसे मोती छाएं,
बिन्दुवाद चित्रों में ज्यों रंग अटा,
पारिजात के रंग यूं ही छटा।
कलात्मक उसका हर फूल,
सिरजता नया स्वरूप-रंग,
सादगी में लिपटा अनमोल,
हर कण में बसा सौंदर्य संग।
पारिजात की यह अनूठी छवि,
सजाए धरती का हर कोना,
सौंदर्य की दिव्य देव हवि,
प्रकृति का अप्रितम बिछौना।।
डॉ. रमेश चंद मीणा
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