दिल्ली चुनावः क्या केजरीवाल का भ्रम में हैं!

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राहुल गांधी दिल्ली में जनसभा को संबोधित करते हुए। फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा के एक के बाद एक लगातार तीन चुनाव जीतने और तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल को भ्रम हो गया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी बड़े नेता हो गए हैं। इस वजह से वह जनता के बीच बड़ी-बड़ी बातें करने लगे थे। मगर 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव ने अरविंद केजरीवाल को चुनाव परिणाम आने से पहले ही यह अहसास कर दिया कि इतना हवा में उड़ना ठीक नहीं है। कहीं ऐसा ना हो जाए कहावत है आधी रोटी को छोड़कर पूरी रोटी पर लपके और आधी रोटी भी हाथ नहीं आई। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस जिस प्रकार से आक्रामक प्रचार करते हुए दिख रही है, उससे केजरीवाल की नींद उड़ रही है।
ऐसा लग रहा है जैसे अरविंद केजरीवाल अकेले पड़ गए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की असल ताकत मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह कहीं ना कहीं या तो कमजोर हो गए हैं या फिर तीनों नेता अंदर खाने अरविंद केजरीवाल को बताना चाहते की दिल्ली में अपनी दम पर सरकार बनाकर बता दें।
अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र में जाकर मतदाताओं से बोल रहे थे कि यदि आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी तो एक बार फिर से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ही होंगे। अरविंद केजरीवाल ने यह क्यों नहीं कहा कि यदि दिल्ली में सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया होंगे। सवाल यह है कि क्या मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह अरविंद केजरीवाल की राजनीति को समझ गए हैं। शायद इसीलिए अरविंद केजरीवाल अकेले संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं।
दिल्ली की जनता किस पार्टी को मतदान करेगी और जिताएगी यह तो 8 फरवरी को पता चलेगा मगर दिल्ली की जनता कांग्रेस सरकार और उसे सरकार की मुखिया शीला दीक्षित के विकास कार्यों को याद कर रही है। यदि शीला दीक्षित की यादें वोट में तब्दील हो गई तो, यह कांग्रेस के लिए दिल्ली में अपना पुराना इतिहास दोहराने जैसा ही होगा।
जिस प्रकार से राहुल गांधी चुनाव में अचानक सक्रिय हुए हैं और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार की कमान संभाली है, उससे पूर्वांचल के मतदाता वापस कांग्रेस में लौटने का इशारा करते हुए नजर आ रहे हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की असल ताकत पूर्वांचल के मतदाताओं वाली सीट ही हैं। इन सीटों पर पप्पू यादव का प्रभाव अधिक देखा जा रहा है जो लंबे समय से कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं !

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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