शिक्षक होना सर्वोपरि – प्रो रामेश्वर राय

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-हिन्दू कालेज में प्रो राय का विदाई समारोह

दिल्ली। शिक्षक होना सर्वोपरि है। शिक्षक हो जाने के बाद और कुछ हो जाना शेष नहीं रहता। हिन्दू कालेज ने मुझे बनाया है और मेरे लिए हिन्दू कालेज का एक अंश होना सबसे बड़ा सम्मान है क्योंकि यह संस्थान केवल औपचारिक शिक्षा नहीं देता बल्कि हमारी आत्मा को भी गढ़ता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के लोकप्रिय शिक्षक और हिन्दू कालेज में हिंदी विभाग में प्रोफ़ेसर पद से सेवानिवृत्त हो रहे डॉ रामेश्वर राय ने अपने विदाई समारोह में कहा कि जिस प्रकार अपने माता पिता को धन्यवाद नहीं दिया अजा सकता उसी प्रकार मैं हिन्दू कालेज से कभी पृथक नहीं हो सकता। हिंदी साहित्य सभा द्वारा आयोजित भव्य विदाई समारोह की अध्यक्षता कर रही प्राचार्य प्रो अंजू श्रीवास्तव ने एक शिक्षक, पूर्व छात्र और सख्त अनुशासन प्रिय अधिकारी के रूप में प्रो राय का मूल्यांकन करते हुए कहा कि सवा सौ साल की हिन्दू कालेज की श्रेष्ठ शिक्षण परम्परा में रामेश्वर राय का स्थान बहुत ऊंचा है। प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि अपने आदर्शों और मूल्यों से कभी समझौता न करने वाले शिक्षक के रूप में प्रो राय का अवदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उप प्राचार्य प्रो रीना जैन ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि प्रो राय का व्यक्तित्व समन्वयकारी है वे किसी भी उलझन और दुविधा के बीच सही रास्ता चुनकर सबको आगे बढ़ाने में विश्वास रखने वाले शिक्षक के रूप में जाने जाते रहेंगे।
हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ पल्लव ने विदाई पत्र का वाचन किया और प्रो राय के सम्बन्ध में संस्मरण सुनाए। डॉ पल्लव ने कहा कि दूसरों को स्वाधीनता देना प्रो राय के व्यक्तित्व का बड़ा गुण है, वे कभी अपने विद्यार्थियों या सहकर्मियों पर अपने प्रभाव का आरोपण नहीं करते। उन्होंने कहा कि आचरण का ऐसा खुलापन प्रो राय को उदात्त बनाता है। वनस्पति शास्त्र के प्रो के के कौल, समाज शास्त्र की प्रो अचला टंडन और डॉ मेहा ठाकौर ने प्रो राय को अपने वक्तव्यों से विदाई दी। हिन्दी विभाग की प्रो रचना सिंह ने कहा कि प्रो राय के साथ अध्यापन का अनुभव न भूलने वाली बात है जिसमें वे संवाद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। विभाग के प्रो हरींद्र कुमार ने अपने शिक्षक तथा सहकर्मी के रूप में प्रो राय के व्यक्तित्व की विशालता को रेखांकित किया। विभाग के अन्य शिक्षकों में डॉ अरविन्द सम्बल, डॉ नीलम सिंह और डॉ साक्षी ने भी प्रो राय को अपने वक्तव्यों से विदाई दी।
इससे पहले विभाग के विद्यार्थी ऋतुराज सेंगर की सरस्वती वन्दना से समारोह का शुभारम्भ हुआ। बनारस से आए युवा गायक शिवम झा ने बंगाली गीत तथा कबीर का निर्गुण गीत प्रस्तुत किया। एक और युवा कलाकार शुभम गोस्वामी ने मैथिली और भोजपुरी गीतों से समारोह को गरिमा प्रदान की। इनके साथ तबले पर दानिश और गिटार पर राज श्री ने संगत की। डॉ नौशाद अली, डॉ प्रज्ञा त्रिवेदी, डॉ पवन कुमार सहित आयोजन में बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे। आयोजन में प्रथम वर्ष से
अभिषेक शर्मा, किशोर कुमार , रोहित कुमार, द्वितीय वर्ष से अनुराग, बृजलाल, कुंदन तथा तृतीय वर्ष से राहुल राजपुरोहित, अंकित, सुनील, पायल और खुशी ने अपने प्रिय शिक्षक के संबंध में विचार व्यक्त किए।
अंत में विभाग प्रभारी प्रो बिमलेंदु तीर्थंकर ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग के संरक्षक और श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में प्रो राय ने जिन आदर्शों को हमारे लिए उपस्थित किया है उनसे हंसदेव प्रेरणा लेते रहेंगे। कार्यक्रम का संयोजन अभिनव कुमार झा ने किया।

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