
-नजर राहुल गांधी के बिहार दौरे पर
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी के आक्रामक तेवर, रुकेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं, डरेंगे नहीं, आगे बढ़ेंगे और कामयाब होंगे, ने भारतीय जनता पार्टी सहित इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेताओं की नींद उड़ा दी है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब राहुल गांधी की नजर बिहार विधानसभा चुनाव पर है। लंबे अंतराल और इंतजार के बाद राहुल गांधी 18 जनवरी को बिहार जा रहे हैं, जहां उनका बेसब्री से कांग्रेस का ईमानदार और वफादार कार्यकर्ता और जनता इंतजार कर रही है।
कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस ताकत के साथ अपने दम पर चुनाव लड़ते हुए नजर आ रही है और 15 जनवरी को कांग्रेस के नए इंदिरा गांधी भवन के उद्घाटन के अवसर पर राहुल गांधी के आक्रामक उद्बोधन ने बिहार के नेता तेजस्वी यादव के भी सुर बदल दिए। तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी के स्वर में स्वर मिलाते हुए नजर आए।
तेजस्वी यादव ने भी मोहन भागवत के बयान पर करारा हमला किया, और कहा कि दलित आदिवासी और पिछड़ा वर्ग को आजादी कब मिलेगी।
सबकी नजर राहुल गांधी के बिहार दौरे पर है। बिहार में लंबे समय से कांग्रेस का आरजेडी से गठबंधन है। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस आरजेडी से गठबंधन कर या फिर दिल्ली की तरह अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, यह निर्भर करेगा आरजेडी के नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर। यदि तेजस्वी यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के समय जो तेवर दिखाये यदि वैसे ही तेवर 2025 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिले तो शायद कांग्रेस और राहुल गांधी बिहार में दिल्ली को दोहरा सकते हैं। कांग्रेस के पास बिहार में अपनी दम दिखाने के लिए पप्पू यादव हैं जो बिहार में मजबूत नेता है। पप्पू यादव को 2024 के लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने पूर्णिया से कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं बनने दिया और आरजेडी ने पूर्णिया से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया। मगर इस प्रतिष्ठित सीट से पप्पू यादव निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े और जीते।
कांग्रेस और राहुल गांधी को पप्पू यादव पर कितना भरोसा है यह तो 18 जनवरी को राहुल गांधी के दौरे के बाद पता चलेगा। मगर पप्पू यादव को कांग्रेस पर कितना भरोसा है यह झारखंड के विधानसभा चुनाव से पता चला जहां पप्पू यादव ने कांग्रेस के लिए जबरदस्त प्रचार किया और कांग्रेस के सहयोग वाली गठबंधन ने झारखंड में अपनी सरकार बनाई। पप्पू यादव को भरोसा है कि कांग्रेस बिहार की सत्ता में वापसी करेगी मगर बात भरोसे की है। राहुल गांधी यदि बिहार में दिल्ली जैसा फैसला लेते हैं तो बिहार में कांग्रेस को पप्पू यादव पर पूरा भरोसा करना और दिखाना होगा। कांग्रेस बिहार में राजद से समझौते के बाद भी केवल 17 विधानसभा सीट जीत सकी पाई थी, जबकि उसके सहयोगी दल राजद ने 99 विधानसभा सीट जीती थी। इसकी वजह क्या रही यही 18 जनवरी को बिहार जाकर राहुल गांधी को समझना होगा। जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस आरजेडी से बेहतर प्रदर्शन करती है मगर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आरजेडी से क्यों पिछड जाती है।
कांग्रेस के पास अवसर है जब वह भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को चुनावी मैदान में फेल कर सकती है इसके लिए कांग्रेस को दलित आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के लोगों को एकजुट करना होगा। यह एक जुट तब होंगे जब कांग्रेस दलित आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के क्षेत्रीय दलों के नेताओं को एकजुट करेंगे। इसके लिए कांग्रेस के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं और उनके पास संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ जैसा राजनीतिक हथियार हाथ है। इस हथियार के चलते कांग्रेस की नीतियों के समर्थन में यह वर्ग एकजुट हो सकते हैं। यदि दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग एकजुट हो जाए तो कांग्रेस के पास भाजपा को परास्त करने के लिए यही एक अवसर है। क्योंकि भाजपा का चुनावी हिंदू कार्ड इस वर्ग पर अधिक टिका हुआ है।
और शायद भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेस और राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ अभियान से ही अधिक डर रहे हैं। अमित शाह के बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर दिए गए बयान के बाद अब कांग्रेस के पास मोहन भागवत के द्वारा आजादी को लेकर दिए गए बयान का मुद्दा भी हाथ में आ गया है। आजादी वाले मुद्दे से कांग्रेस और राहुल गांधी के संविधान बचाओ मुद्दे को और ताकत मिलेगी। कुल मिलाकर नजर राहुल गांधी के बिहार दौरे पर है। इन दिनों बिहार देश की राजनीति में सुर्खियों में बना हुआ है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)