
जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार 15 मई, 2025 को कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में भड़काऊ टिप्पणी के बाद कैबिनेट मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर contents को लेकर राज्य पुलिस को फटकार लगाई है। न्यायाधीश अतुल श्रीधरन और न्यायाधीश अनुराधा मलिक की खंडपीठ ने पूछा कि केबीनेट मंत्री का 12 मई के वायरल भाषण एफआईआर का हिस्सा क्यों नहीं है।
विजय शाह के विवादित बयान को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और स्वतः संज्ञान लेते हुए 4 घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट की फटकार के कुछ ही घंटे बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने मंत्री विजय शाह पर एफआईआर दर्ज कर ली थी। विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की तीन गंभीर धाराएं– 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के तरीके को लेकर पुलिस को फटकार लगाई। खंडपीठ ने एफआईआर के ड्राफ्ट पर सवाल उठाते हुए पूछा, क्या यही है? क्या आपने एफआईआर पढ़ी है? अपराध के तत्व कहां हैं? अदालत ने देखा कि एफआईआर में ऐसी कोई भी सामग्री नहीं है जो संज्ञेय अपराध दर्शा सके। अदालत ने टिप्पणी की कि इसे इस तरह से ड्राफ्ट किया गया है कि रद्द किया जा सके। खंडपीठ ने आगे कहा, एफआईआर में कुछ भी नहीं है।
एफआईआर इस तरीके से ड्राफ्ट की गई है, जिसमें अभियुक्त की करतूतों का जिक्र नहीं है। एफआईआर को अगर चुनौती दी गई तो आसानी से रद्द हो हो सकती है। ये एफआईआर अदालत के विश्वास पर खरी नहीं उतरती है। खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया कि एफआईआर में सुधार किया जाए। बिना किसी हस्तक्षेप और दबाव के एफआईआर और जांच आगे बढ़ाई जाए। वेकेशन के बाद मामले में सुनवाई होगी।