
-फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही पार्टी,बगावत से बचने का प्रयास
-राजेन्द्र सिंह जादौन-
चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने में कांग्रेस आला कमान फूक फूक कर कदम रख रहा है। इसलिए पहली दो सूची में मात्र 32 उम्मीदवार ही घोषित किए है। इन उम्मीदवारों में मौजूदा विधायकों को ही टिकट दिए गए। लेकिन फिर भी बगावत सामने आई है। बरोदा सीट से दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी कपूर सिंह नरवाल ने बगावत का झंडा उठा लिया है। कांग्रेस ने 28मोजूदा विधायको को टिकट दिए और चार सीटो पर चेहरे बदले है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा खेमे के 24 और सांसद कुमारी सैलजा के समर्थक चारों विधायकों को टिकट दे दी। हुड्डा-सैलजा कैंप से अलग चल रहे पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव की टिकट भी नहीं रोकी। ईडी जांच और नूंह हिंसा मामले में फंसे अपने चारों विधायकों और दूसरे दलों से आए 2 नेताओं को भी पहली सूची में टिकट दे दिए।
कांग्रेस ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलो में फंसे अपने तीनों विधायकों को टिकट देकर यह संदेश देने की कोशिश की है उनके खिलाफ राजनीतिक आधार पर कार्रवाई की गई। इनमें सोनीपत से सुरेंद्र पंवार, समालखा से धर्म सिंह छौक्कर और महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह शामिल है। सुरेंद्र पंवार तो लगभग डेढ़ महीने से जेल में है। कांग्रेस ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर उसका कोई नेता किसी मुश्किल में फंस गया हो तो पार्टी उसका साथ नहीं छोड़ेगी। टिकट पाने वाले कांग्रेसी नेता अब लोगों के बीच खुद को पीड़ित बताते हुए भाजपा पर हमला कर सकेंगे।
पहले तो ये खबरे मिल रही थी कि कांग्रेस भाजपा की गैर जाट की राजनीति को मात देने के लिए गैर जाट को ज्यादा टिकट देगी लेकिन कांग्रेस के ,32उम्मीदवारों में जाट प्रत्याशी सबसे अधिक है।
गढ़ी-सांपला-किलोई से भूपेंद्र हुड्डा, जुलाना से विनेश फोगाट और गोहाना से जगबीर मलिक समेत जाट बिरादरी के 7 नेताओं को टिकट देकर इस वर्ग की भाजपा के प्रति नाराजगी को भुनाने की कोशिश की। जून में हुए लोकसभा चुनाव में जाट बाहुल्य रोहतक, सोनीपत और हिसार सीट पर कांग्रेस ही जीती थी।
अनुसूचित जाति को जाटों के बराबर रखा। दो सूची में 9 अनुसूचित जाति के प्रत्याशी शामिल है। होडल से 5 साल पहले चुनाव हारे पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान को फिर टिकट दिया। जून में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा की दोनों रिजर्व सीटें सिरसा और अंबाला में कांग्रेस जीती थी। राज्य की 17 रिजर्व विधानसभा सीटों में से 11 पर कांग्रेस आगे रही थी।पहली सूची में 4ओबीसी प्रत्याशियो को टिकट दिया। इनमें राव दान सिंह को महेंद्रगढ़, रेवाड़ी से चिरंजीव राव, रादौर से बिशन लाल सैनी और सोनीपत से सुरेंद्र पंवार शामिल है। हालांकि पार्टी ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह अकेले जाटों की नहीं बल्कि 36 बिरादरी के बारे में सोचती है।
कांग्रेस ने तीनों मोजूदा मुस्लिम विधायको को टिकट दे दिया।इनमे फिरोजपुर झिरका से मामन खान, पुन्हाना से मुहम्मद इलियास और नूंह से आफताब अहमद शामिल है। भाजपा की 67 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं था। कांग्रेस ने ब्राह्मण, पंजाबी और सिख को भी प्रतिनिधित्व दिया। बादली से कुलदीप वत्स और फरीदाबाद एनआईटी से नीरज शर्मा ब्राह्मण चेहरे हैं। रोहतक से भारत भूषण बत्रा पंजाबी और असंध से शमशेर सिंह गोगी सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
कांग्रेस ने रोहतक-झज्जर-सोनीपत के जाटलैंड के वोटरों को साधने की कोशिश की। झज्जर की चारों सीटों पर टिकट घोषित कर दिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह जिले रोहतक की 4 में से 3 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। यहां 2019 में हारी महम सीट का टिकट रोका गया। सोनीपत में भी 4 सीटों पर टिकटों का ऐलान कर दिया जबकि 2 रोक ली गईं।. मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। इसीलिए यहां की तीनों सीटों पर मौजूदा मुस्लिम विधायकों को फिर से उतार दिया।
भाजपा के गढ़ दक्षिण हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट को भेदना कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है। इसलिए पहली सूची में वहां की 23 में से सिर्फ 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। बाकी सीटों पर मंथन जारी है।
किरण चौधरी के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस, खासकर हुड्डा गुट के सामने पूर्व सीएम बंसीलाल के गढ़ भिवानी को साधने की चुनौती है। इसलिए पहली सूची में यहां की 4 में से एक भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा गया।
जींद और उससे लगती बांगर बेल्ट की सीटों पर भी पार्टी ने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया। यहां सर छोटूराम के नाती और वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह का प्रभाव है। बीरेंद्र सिंह लगातार उचाना में बेटे बृजेंद्र सिंह और बाकी सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए गोलबंदी कर रहे हैं। कांग्रेस ने बागड़ बेल्ट, जिसमें हिसार, सिरसा और फतेहाबाद का इलाका आता है, की 15 में से सिर्फ दो सीटों पर टिकटों का ऐलान किया। यह क्षेत्र भाजपा और इनेलो का गढ़ है जिसे वह 2019 में भेद नहीं पाई थी।
रेसलर विनेश फोगाट को कांग्रेस में आने के मात्र 7 घंटे में टिकट दे दिया क्योंकि विनेश फोगाट के गोल्ड मेडल से चूकने से उपजी सहानुभूति का राजनीतिक लाभ लेना चाहती है । सांसद होने के बावजूद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के चुनाव लड़ने पर अड़े रहने के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता दी। हाईकमान नहीं चाहता कि पहली ही सूची से हरियाणा में बने-बनाए माहौल में कोई विघ्न पड़ जाए।
कांग्रेस ने उम्मीदवारों की छोटी सूची जारी कर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खुला रखा है। कांग्रेस ने आप को 5 सीटें देने की पेशकश की हैं लेकिन शहरी क्षेत्र से लड़ने को कहा। आप 7 से 10 सीटें मांग रही है और वह भी पंजाब-दिल्ली बॉर्डर से सटे इलाकों में। ऐसे में कांग्रेस ने गठबंधन की गुंजाइश अभी छोड़ रखी है। दूसरा गठबंधन का विरोध कर रहे पूर्व सीएम हुड्डा को भी संदेश भेज दिया कि अभी कांग्रेस ने गठबंधन की बात को सिरे से खारिज नहीं किया है।
हरियाणा चुनाव के लिए 5 सितंबर से नामांकन शुरू हो चुके हैं। 12 सितंबर तक नामांकन भरे जाएंगे। कांग्रेस बची हुई 59 सीटों पर भी टिकटों का ऐलान एक साथ करेगी, इसकी उम्मीद नहीं है। इसके लिए दो या उससे ज्यादा सूची आ सकती हैं। तीसरी सूची में कम विवाद वाली सीटें होंगी। सबसे ज्यादा विवाद वाली सीटों के टिकट आखिरी सूची में आने की उम्मीद है। ताकि नेताओं को बगावत कर निर्दलीय नामांकन भरने का कम से कम समय मिल सके। इसके अलावा तब तक दूसरी पार्टियों की सूची भी आ चुकी होंगी। ऐसे में नाराज नेताओं के पास वहां जाने के रास्ते भी ज्यादा नहीं बचेंगे।
भाजपा प्रदेश में 10 साल से सरकार चला रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 10 में से 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर भी 2019 के 28.42फीसदी के मुकाबले बढ़कर 43.73फीसदी पर पहुंच गया। 44 विधानसभा सीटों पर पार्टी को बढ़त मिली। वहीं भाजपा का वोट शेयर 2019 के 58फीसदी के मुकाबले गिरकर 46.62 रह गया। भाजपा भी 44 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई। कांग्रेस को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में उसका वोट शेयर और बढ़ेगा। चूंकि कांग्रेसी नेता राज्य का माहौल अपने पक्ष में मान रहे हैं इसलिए पार्टी में बगावत ज्यादा हो सकती है। कांग्रेस को 90 टिकटों के लिए 2,556 आवेदन मिले हैं। इसी से जाहिर है कि प्रदेश में उसके टिकट पर चुनाव लड़ने वालों की तादाद बहुत बड़ी है।