
-बीएनपी के एजेंडे में शेख हसीना ऊपर
-द ओपिनियन डेस्क-
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को खासकर हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का मामला अब संयुक्त राष्ट्र में भी पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इसकी निंदा की है और कहा है कि हम नस्लीय आधार पर होने वाले हमलों, हिंसा को बढ़ावा देने के खिलाफ हैं। लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अब भी कई धार्मिक नेता जहर उगल रहे हैं। बड़ी संख्या में हिंदू अब भी भारत आने के लिए रोज बंगाल से लगी सीमा पर पहुंच रहे हैं। मीडिया में आ रही रिपोर्टों में यह साफ है। लेकिन मुख्य बात यह है कि वहां की मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार क्या कदम उठाती है। क्या वह हिंसा पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाएगी और माहौल को भयमुक्त बनाने का प्रयास करेगी। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा नहीं रुक रही है। कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों में तोड़फोड़ की गई है। लोकप्रिय लोक कलाकार राहुल आनंदा के घर को आग के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस को भेजे अपने बधाई संदेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताई है और स्थिति जल्द ही सामान्य होने और हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की उम्मीद जताई। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को नई जिम्मेदारी संभालने के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं। उन्होंने कहा, ‘भारत शांति, सुरक्षा व विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें बधाई दी और कहा कि शीघ्र ही शांति और सामान्य स्थिति की बहाली समय की मांग है। लेकिन क्या यूनुस कोई ठोस कदम उठाएंगे, यह अब देखना है। यूनुस और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में ठहरने पर पर आपत्ति है और वे इस पर नाखुशी जता रहे हैं। बीएनपी तो भारत को चेतावनी दे रही है कि वह दुश्मनों का साथ देता है तो रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते। यानी उसके एजेंडे में शेख हसीना सबसे ऊपर है। लगता है वह उसके साथ हिसाब बराबर करना चाहती है। ऐसे में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा । उसे अपने हित भी देखने हैं। क्या हसीना भारत में न हो तो यूनुस और बीएनपी भारत के हितों की रक्षा के लिए काम करेंगे, इसकी संभावना कम हैं। यूनुस मूल रूप से अमेरिका समर्थक हैं और वह सेना का चेहरा बनकर अंतरिम सरकार के मुखिया बने हैं। अमेरिका पहले से ही शेख हसीना से नाराज था। कहा जा रहा है कि अमेरिका बांग्लादेश में एक सैन्य अड्डा बनाना चाहता था लेकिन शेख हसीना इस पर राजी नहीं थी। अब यूनुस पर अमेरिका व चीन कितना दबाव बनाने में सफल रहते हैं और पाकिस्तान कितना प्रभाव डालता है, यह भी अगले कुछ दिनों में उनके द्वारा उठाए जाने वाले कदमों से साफ होने लगेगा। भारत का बहुत बड़ा निवेश बांग्लादेश में है और दोनों वैसे ही एक दूसरे से जुड़े हैं जैसे शरीर के अंग आपस में जुड़े रहते हैं। इसलिए भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए बहुत ही सतर्कता से कदम उठाने होंगे। दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने राजनीति में उतरने के का संकेत दिया है। हालांकि उन्होंने पहले कहा था कि उनका राजनीति में उतरने का कोई इरादा नहीं है। अमेरिका में रह रहे जॉय कहते हैं, ‘मैं पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए जो भी करना पड़ेगा, करूंगा। अगर मुझे राजनीति में उतरने की जरूरत पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। जॉय ने यह भी संकेत दिए हैं कि अवामी लीग चुनाव में हिस्सा लेगी और हम जीत भी सकते हैं। यानी बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा होने के बाद ही तस्वीर साफ होगी कि देश लोकतांत्रिक धारा की ओर लौटता है या नहीं। भारत को तभी तक कुछ चीजों का इंतजार करना पड़ेगा।