दी ओपिनियन डेस्क
नई दिल्ली। देश ने 15 अगस्त को अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। पुरखों के बलिदानों को याद किया गया और विकसित आत्मनिर्भर भारत का संकल्प व्यक्त किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। उनके 83 मिनट के संबोधन में अगले 25 साल के भारत के लिए कई संदेश छिपे हैं। पीएम ने देश के गुमनाम क्रांतिकारियों को नमन करते हुए 75 साल की विकास यात्रा का जिक्र किया और आगे 2047 का लक्ष्य भी प्रस्तुत कर दिया। पिछले तीन चार साल में हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते रहे हैं और इस स्वतंत्रता दिवस पर जब राष्ट्रध्वज को तोपों की सलामी दी जा रही थी तो हमने इसकी झलक भी देखी। पहली बार लाल किले की प्राचीर पर स्वदेशी तोप से तिरंगे को सलामी दी गई। पीएम मोदी ने अपने भाषण में अगले 25 वर्षों में विकसित भारत, गुलामी की सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता के साथ ही नागरिकों के अपने कर्तव्य पालन के ‘पंच प्रण’ का आह्वान भी किया। इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ जंग का भी आह्वान किया और इसके लिए देशवासियों से समर्थन भी मांगा। उनके इस आह्वान और समर्थन मांगने पर सियासी सुर भी उठने लगे हैं।
ईडी की कार्रवाई से सियासी पारा भी चढ़ा
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना पड़े, वह स्थिति हम पैदा करेंगे। वे अब बच नहीं पाएंगे। इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है। पीएम का यह इशारा बहुत ही अहम है। हाल की कुछ घटनाओं को देखिए। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ईडी की कार्रवाई के घेरे में हैं और उनकी एक करीबी सहयोगी के यहां से 50 करोड रुपए से अधिक की नकद राशि बरामद हुई। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ईडी ने पूछताछ की है। शिव सेना नेता संजय राउत से पात्रा चाल घोटाले में पूछताछ हुई है। दिल्ली की आप सरकार के एक पूर्व मंत्री भी ईडी के घेरे में है। इन सब पर सियासी पारा भी चढ़ा है। दोषी कौन है यह फैसला अदालत करेगी। लेकिन एक बात तो अब तय मानी जा सकती है कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद जैसेे मुद्दे आने वाले समय में भारतीय सियासत को गरमाते रहेंगे।
निशाना बिहार के हाल के परिदृश्य पर
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, तब यह देखने को मिलता है कि एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वे लोग हैं, जिनके पास अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है। यह स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ नफरत दिखती है लेकिन कई लोग तो इस हद तक चले जाते हैं कि अदालत में सजा हो चुकी हो, भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो, जेल की सजा काट रहे हों, इसके बावजूद लोग उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं। राजनीतिक विश्लेषक अब सवाल कर रहे है क्या यह निशाना बिहार के हाल के परिदृश्य पर है।
परिवारवाद को लेकर हमला
राजनीतिक पार्टियों पर परिवारवाद को लेकर पीएम व भाजपा पहले भी हमला करते रहे हैं। लाल किले की प्राचीर से भी पीएम ने इस ओर संकेत किया है। इसलिए राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि आने वाले चुनावों में भाजपा परिवारवाद को लेकर विपक्षी दलों पर हमले तेज कर सकती है। कई क्षेत्रीय पार्टियां परिवार के सहारे ही चल रही हैं। इसलिए प्रधानमंत्री का यह आह्वान अहम है कि हिंदुस्तान की राजनीति के शुद्धिकरण के लिए और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए भी, परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिलानी होगी। योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने की ओर हमें बढ़ना होगा।
महिलाओं के सम्मान पर जोर
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में महिलाओं के सम्मान की बात को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और उन्होंने ‘नारी शक्ति ‘ का समर्थन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बोलने में और आचरण में ‘हम ऐसा कुछ न करें जो महिलाओं का सम्मान कम करता हो। हमारे आचरण में विकृति आ गई हैं और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं। क्या हम अपने व्यवहार और मूल्यों में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं। पीएम का यह आह्वान बहुत ही अहम है। यह समाजिक बदलाव का संवाहक बन सकता है।