सोम प्रदोष व्रत आज

-राजेन्द्र गुप्ता
********************
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्टों का अंत होता है। प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में।
प्रदोष व्रत कब है?
===================
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जून को देर रात 01 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसकी समाप्ति 23 जून को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी। इस दिन प्रदोष काल की पूजा का महत्व है। ऐसे में 23 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 22 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
======================
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। प्रदोष शब्द का अर्थ है रात की शुरुआत होने वाला समय, जो सूर्यास्त के बाद और रात्र के आगमन से पहले का समय होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी पूजा करते हैं। इस शुभ समय में शिव पूजा करने से भक्तों को रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
==================
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
सुबह भगवान शिव की पूजा विधिवत करें।
इसके बाद शाम के समय एक वेदी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
गंगाजल से अभिषेक करें।
उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल और मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करें।
शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
अंत में आरती कर भगवान से प्रार्थना करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments