
नयापुरा बाग स्कूल में अभी 200 बालिकाएं अध्ययन करती हैं। इसके चौराहे पर भारी ट्रैफिक होने की वजह से अभिभावक अपनी नन्हीं बच्चियों को स्कूल भेजने से डरते हैं कि कहीं वे वाहन की चपेट में न आ जाए। इसलिए यहां संख्या कम है।
-धीरेन्द्र राहुल-

ये फोटोग्राफ कोटा के नयापुरा बाग स्कूल चौराहे के हैं। पहले यह चौराहा बाॅटलनैक हो रहा था, अब उसे चौड़ा किया जा रहा है। साथ ही गहरा और चौड़ा नाला भी बनाया जा रहा है। इस कार्य को देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई कि चलो साढ़े दस महीने बाद ही कोटा विकास प्राधिकरण ने शहर में किसी तो नए काम की शुरुआत की लेकिन हाय री किस्मत!
यह काम भी पिछली सरकार का शुरू किया निकला।
कोटावासी भूले नहीं होंगे, जब नयापुरा बाग स्कूल से अण्टाघर चौराहे ( जेल रोड) को ‘किलर रोड’ कहा जाता था। रोड एक्सीडेंट में जितने लोग इस सड़क पर मरे हैं, उतने शहर में कहीं ओर नहीं।
इसलिए शांति धारीवाल प्राथमिकता के आधार पर इसे बनवाना चाहते थे लेकिन लड़कियों के नयापुरा बाग स्कूल के आठ कमरों को तोड़े बिना इस चौराहे को चौड़ा करना मुश्किल था।
दो साल पहले अंजू जैन ने नयापुराबाग स्कूल के प्रिंसिपल का चार्ज ग्रहण किया तो उन्होंने आपत्ति की कि अगर आठ कमरे तोड़ेंगे तो फिर बच्चियां कहां पढ़ेगी? इसलिए धारीवाल ने यूआईटी को निर्देश दिए कि पहले बारह कमरे बनाओ तो
वे भी स्कूल से सटे खेल संकुल परिसर में बना दिए गए। पिछली मई में अंजू जैन के कहने पर कोटा विकास प्राधिकरण ने प्रिसिंपल को लिखित में आदेश भी थमा दिया गया। इसके बाद ही आठ कमरों को तोड़ा गया।

नयापुरा बाग स्कूल में अभी 200 बालिकाएं अध्ययन करती हैं। इसके चौराहे पर भारी ट्रैफिक होने की वजह से अभिभावक अपनी नन्हीं बच्चियों को स्कूल भेजने से डरते हैं कि कहीं वे वाहन की चपेट में न आ जाए। इसलिए यहां संख्या कम है।
भजनलाल सरकार को सत्ता में आए साढ़े दस माह हो गए हैं लेकिन हम अभी भी पुरानी सरकार के कामों की ही चर्चा कर रहे हैं। भजनलाल जी मौका दीजिए कि आपकी सरकार द्वारा शुरू किए गए किसी अच्छे काम का भी गुणगान हम करें!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)