
-देवेन्द्र यादव-

राजस्थान कांग्रेस के भीतर चर्चा है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में राजस्थान के दो बड़े नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को पार्टी हाई कमान ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। वैसे पार्टी हाई कमान राजस्थान के इन दोनों नेताओं को अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की तरह बड़ी जिम्मेदारी देता रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इन नेताओं को मिली बड़ी जिम्मेदारी के कारण कभी चुनाव जीती है। हरियाणा विधानसभा के चुनाव तो हाल ही में सम्पन्न हुए हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाई कमान ने राजस्थान के इन दोनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी थी। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर अपनी सरकार बनाई। जबकि जीत के सभी पूर्वानुमानों के बावजूद कांग्रेस हरियाणा में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। पार्टी हाई कमान राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्यों के चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देती रही है। अशोक गहलोत को कांग्रेस हाई कमान ने एक बार नहीं बल्कि कई बार गुजरात विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी थी। गुजरात में कांग्रेस अभी तक सत्ता में वापसी नहीं कर पाई, बल्कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी हाई कमान ने अशोक गहलोत को जिस राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दी कांग्रेस उस राज्य में विधानसभा का चुनाव हारी। यानी अशोक गहलोत का पर्यवेक्षक के रूप में राजनीति ट्रैक रिकॉर्ड ठीक नहीं है। पार्टी हाई कमान ने अशोक गहलोत को दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों का प्रभार भी दिया। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। बल्कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का संगठन भी मजबूत नहीं हो पाया। अब देखना यह है कि अशोक गहलोत महाराष्ट्र के मुंबई और कोकण क्षेत्र की लगभग 70 सीटों में से कांग्रेस को कितनी सीट जितवा पाते हैं। यह अशोक गहलोत के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। चुनौती इसलिए है क्योंकि पार्टी हाई कमान ने अशोक गहलोत को शायद पहली बार किसी राज्य के पूरे चुनाव की जिम्मेदारी नहीं देकर केवल एक क्षेत्र की जिम्मेदारी दी है जिसके अंतर्गत लगभग 70 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। अब अशोक गहलोत की जिम्मेदारी है कि वह कांग्रेस को 70 सीटों में से कितनी सीट जितवा पाते हैं। मुंबई और कोंकण क्षेत्र में राजस्थान के प्रवासी लोगों की खासी संख्या है। अशोक गहलोत राजस्थान के लोगों को प्रभावित कर पाते हैं या नहीं इसका पता चुनाव परिणाम आने के बाद चलेगा !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)