कांग्रेस क्या साध पाएगी विपक्ष के अन्य दलों को?

भारत जोड़ो यात्रा का कोई फायदा चाहे वह राजनीतिक हो या अन्य कोई और तत्काल तो मिलने वाला है ही नहीं। इसलिए इस यात्रा का आगे बढना इसके समर्पण भाव को ही दर्शाता है

एकजुटता का संदेश देते दिल्ली पहुंची भारत जोड़ो यात्रा

-द ओपिनियन-

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली पहुंच गई है। करीब 3000 हजार किलोमीटर का सफर पैदल तय कर ये यात्री दिल्ली पहुंचे हैं। दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस ने पार्टी में एकजुटता का संदेश दिया है। यह इसका सबसे बडा सकारात्मक पक्ष है। इस दृष्टि से कांग्रेस की यह बहुत ही अनूठी और समर्पित यात्रा है। जब कड़ाके की ठंड के बीच यात्रियों ने दिल्ली में प्रवेश किया तो बहुत से लोगों की हिम्मत गर्मी कपड़ों को छोड़ने की नहीं हो रही थी। एक कम समर्पित लक्ष्य व विश्वास ही आपको इतने बड़े सफर पर लेकर चल सकता है। इसलिए यह अपने आप में अनूठी है। इसका कोई फायदा चाहे वह राजनीतिक हो या अन्य कोई और तत्काल तो मिलने वाला है ही नहीं। इसलिए इस यात्रा का आगे बढना इसके समर्पण भाव को ही दर्शाता है। दिल्ली पहुंचकर राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं के साथ हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जाकर चादर चढाई और देश में अमन चैन की दुआ मांगी। अब यात्रा का अगले 9 दिन तक दिल्ली में विश्राम रहेगा और तीन जनवरी को फिर से शुरू कर देगी।

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आश्रम चौक स्थित जयराम आश्रम में सियाराम दरबार के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

हरियाणा में यात्रा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष सूरजभान, कुमारी शैलजा शामिल हुए। इसके माध्यम से पार्टी हरियाणा में राजनीतिक एकजुटता का संदेश देने में सफल रही। हालांकि पार्टी गुटबाजी में बंटी हुई है लेकिन यात्रा ने गुटों के बीच खाई को कम किया है तो यह उसकी सफलता ही कही जाएगी। इससे पहले राजस्थान से गुजरते समय भी राहुल गांधी ने यात्रा के माध्यम से दोनों खेमों के बीच की खाई को पाटने का संदेश दिया। यदि राहुल इस खाई को पाटने में सफल रहते हैं तो यह उनकी यात्रा को सार्थक बना देगा क्योंकि वर्तमान में राजस्थान और छत्तीसगढ ही ऐसे दो राज्य हैं जहां कांग्रेस की सरकार है और वहां किसी तरह की खेमबंदी पार्टी को भारी पड़ सकती है। राजस्थान में कांग्रेस इस बार सत्ता में आने के बाद से ही खेमे बंदी से जूझ रही है और अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राहुल गांधी यदि यहां सुलह के बीज बोने में सफल रहे तो यह पार्टी की सेहत के लिए अच्छा ही होगा।

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दिल्ली में भारत जोडो यात्रा के पहुंचने पर सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी। फोटो सोशल मीडिया

विपक्ष की एकता को साधना आसान नहीं

नई दिल्ली में आज जब राहुल गांधी लाल किला पहुंचकर सभा को संबोधित करेंगे तो हर कांग्रेसी के मन में शायद यह विचार आए कि एक दिन फिर कांग्रेस का कोई नेता लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करे। ऐसा सपना देखना न गलत है और ना ही अनुचित। यह एक ऐसी पार्टी के लिए स्वाभाविक है जिसने पहले आजादी की लड़ाई लड़ी और बाद में लम्बे समय तक सत्ता संभाली। लेकिन फिलहाल उसके रास्ते में गंभीर चुनौती हैं। विपक्ष की एकता को साधना और उसको साथ लेकर आसान काम नहीं है। यह तो साफ है कि कांग्रेस फिलहाल अपने बूते पर सत्ता में नहीं लौट सकती।

राहुल बनें पीएम

कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि राहुल गांधी को 2024 में देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। हालांकि इस बारे में पूछे एक सवाल के जवाब में खेड़ा ने कहा कि यह तो 2024 के चुनाव में तय होगा। लेकिन अगर आप हमसे पूछते हैं तो निश्चित रूप से राहुल को पीएम बनना चाहिए। खेड़ा के बयान के साफ है कि साफ है कि पार्टी 2024 में सत्ता में वापसी और राहुल को पीएम को रूप में देखना चाहती है।

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