बिहार विधानसभा चुनावः बगैर आरजेडी और जेडीयू के सहयोग के सरकार बनाना नामुमकिन!

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लालू यादव परिवार के साथ नीतीश कुमार। फाइल फोटो

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

यूं तो देश के अधिकांश राज्यों में एक जैसी स्थिति है, मगर बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर, एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। बिहार में दो प्रमुख घटक दल एनडीए और महा गठबंधन है। राज्य में एनडीए घटक दल की सरकार है जिसका नेतृत्व जदयू नेता नीतीश कुमार कर रहे हैं। बिहार देश का ऐसा राज्य है जहां लंबे समय से अधिकांश समय घटक दलों की सरकार बनती आई है। कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है, और भारतीय जनता पार्टी बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए कशमकश कर रही है। वही दिल्ली की सत्ता से बाहर हुई आम आदमी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाने की योजना बना रही है। खबर तो यह भी सुनाई दी थी कि, पश्चिम बंगाल की सत्ता पर लंबे समय से काबिज ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा सकती है।
243 विधानसभा क्षेत्र वाले बिहार में, कांग्रेस और भाजपा के अलावा, जेडीयू और राजद प्रमुख राजनीतिक दल हैं। इन दोनों ने कांग्रेस को बिहार की सत्ता से बाहर कर पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। राजद नेता लालू प्रसाद यादव भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, मगर अब वह कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बिहार में चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वहीं जेडीयू कभी कांग्रेस और कभी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाकर सत्ता में चली आ रही है। देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टिया कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी बिहार में जेडीयू और राजद पर निर्भर है।
2025 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही प्रमुख पार्टिया बिहार की सत्ता में आने के लिए प्रयास तो कर रही हैं मगर दोनों के सामने एक जैसी समस्या है। भाजपा के सामने जदयू है तो कांग्रेस के सामने राजद है। इन दोनों पार्टियों के बगैर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों का बिहार की सत्ता में आना फिलहाल नामुमकिन है।
कांग्रेस और भाजपा पहले से ही राजद और जेडीयू पर निर्भर हैं, अगर आम आदमी पार्टी असदुद्दीन ओवैसी ममता बनर्जी झारखंड मुक्ति मोर्चा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी बिहार के विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए उतर गए तो 2025 के विधानसभा चुनाव की स्थिति क्या होगी यह देखने वाली बात होगी। आम आदमी पार्टी भी अब राष्ट्रीय पार्टी है। आम आदमी पार्टी इस तमगा को बरकरार रखने के लिए, बिहार विधानसभा चुनाव में शायद उतरेगी।
यह सभी पार्टिया किस घटक दल को नुकसान पहुंचाएंगे, यह भी साफ दिखाई दे रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान इंडिया गठबंधन को होगा, क्योंकि जहां-जहां भी आम आदमी पार्टी ने अपने पैर पसारे उन राज्यों में बड़ा नुकसान भाजपा के बजाय कांग्रेस को हुआ है। बिहार में कांग्रेस के गठबंधन को नुकसान पहुंचाने के लिए पहले से ही असमुद्दीन ओवैसी की पार्टी मौजूद है। 2025 के विधानसभा चुनाव में यदि आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर गई तो कांग्रेस के गठबंधन की स्थिति क्या होगी इस पर सभी की नजर होगी।
बिहार विधानसभा चुनाव राजनीतिक दलों के लिए प्रयोगशाला के रूप में भी नजर आ रहा है। कई सवाल हैं इनमें भाजपा पहली बार बिहार में अपनी सरकार बना सकती है या नहीं कांग्रेस बिहार की सत्ता में वापसी कर सकती है या नहीं। चिराग पासवान बिहार में मजबूत राजनीतिक ताकत बन सकते हैं या नहीं। राजद नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन सकते हैं या नहीं, आम आदमी पार्टी बिहार में अपना खाता खोल पाती है या नहीं जैसे सवाल प्रमुख हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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