चाय और आदमी

whatsapp image 2025 09 22 at 08.55.46

– विवेक कुमार मिश्र

vivek mishra
डॉ विवेक कुमार मिश्र

चाय थके , थोड़ा अलसाये
मन को जगाने का काम करती है
जब कुछ भी कर सकने की स्थिति न हो
तो कुछ न करने से अच्छा है कि
चाय मंगा लें, चाय पीने का जतन कर लें

चाय सिर्फ इसलिए भी नहीं पीते कि
चाय पीना एक जरूरत हो
चाय जरूरत से कहीं ज्यादा
मन भर साथ बैठकर बातें करने की
बातें और जिंदगी को
एक ताजगी के साथ जीने की भी ज़िद होती है

चाय के साथ बात ही कुछ इस तरह से
होती है कि सब कुछ
नये सिरे से नया सा लगने लगता है
चाय पर कुछ भी पुराना नहीं होता

चाय की सूर में सब ऐसे चल पड़ते हैं कि
बस अभी अभी ही दुनिया में आएं हों
चाय एक तरह से
दुनिया भर की गति लिए होती
जो चाय नहीं पीता वह भी चाय की दुनिया से
भली-भांति परिचित होता है

चाय अपरिचित संसार में भी
परिचित संसार ढ़ूढ़ लेती है
चाय दायरे को बढ़ाने का काम करती है
ठहरे हुए संसार में गति लाने के लिए
चाय ही… दुनिया हो जाती है

आदमी और चाय के रंग में
कुछ भी फर्क नहीं है
आदमी ही एक समय के बाद
चाय सा दिखने लगता है

आदमी को जब भी जहां भी
देखने की कोशिश करता हूं कि
चाय और आदमी साथ साथ मिलते हैं ।
– विवेक कुमार मिश्र

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments