
-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
कोटा से लगभग 150 किलोमीटर दूर बारां जिले का शाहबाद क्षेत्र का अपना इतिहास रहा है। बारां को पुरा संपदा का खजाना कहा जाता हे। इतिहास और पर्यटन पर शोध करने वाले विद्यार्थी इस ओर ध्यान दे रहे हैं।
यहां का कुंडा खोह ऐसा दर्शनीय स्थल है जहां बारिश में झरना लगभग 150 फुट की ऊंचाई से गिरता है। मानसून में यहां स्थानीय ओर बाहर के पर्यटक आते है। लेकिन अफसोस वहां तक जाने में लोग परेशान हो जाते हैं। एक तो यह सुनसान क्षेत्र में स्थित है दूसरा कहीं भी मार्ग सूचक नहीं हैं जहां कुंडा खोह जाने का मार्ग लिखा हो।
हमने यहां के स्थानीय गाइड दशरथ जी को लिया। एक बार तो वो भी तीन रास्ते देख सकते में आ गए। ऐसी जगह पर मार्ग सूचक लगाए जाने चाहिए।
मैं शोध छात्रा शुभाग़नी सिंह ओर उनके पिता डॉ राकेश सिंह को लेकर आया। इस दौरान तपस्वी जी की बगीची, ऐतिहासिक जमा मस्जिद, बादल महल, शाहबाद का किला, कुंडा खोह और यहां हो रहे विकास कार्यों को देखा।
यहां का बाला किला ही नहीं मुख्य द्वार से अंदर के द्वार और चार दिवारी, यहां के बरामदे मार्ग का विकास हो चुका है।
बाकी का कार्य चल रहा है। रानियों की बावड़ी तक सड़क बन गई है।बाला किले में ओर बाहर के किले पर रखी ऐतिहासिक तोपों का शानदार रख रखाव कर दिया हैं ये पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रही है। किले से शाहबाद घाटी का पूरा नज़ारा देखा जा सकता है। पहाड़ों के बीच बसा शाहबाद प्रकृति ओर वन्य जीवों का स्थान भी है।
नेशनल हाईवे पर स्थित होने से यहां से शिवपुरी, झांसी, ग्वालियर, ओरछा, छत्रपुर और खजुराहो भी जाया जा सकता है।