गणगौर पूजन आज

whatsapp image 2025 03 30 at 19.45.27

-राजेन्द्र गुप्ता

हिंदू धर्म में गणगौर व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है। यह व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित किया गया है। इसे तृतिया तीज के नाम से भी जाना जाता है। “गणगौर” नाम “गण” (भगवान शिव) और “गौर” (माता पार्वती) के संयोजन से बना है।
गणगौर व्रत का विशेष महत्व विवाहित महिलाओं के लिए है, जो इसे अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रखती हैं, क्योंकि मान्यता है कि इससे उन्हें मनचाहा वर मिलता है।

इस साल कब है गणगौर व्रत?
=======================
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ: 31 मार्च, प्रातः 9 बजकर 11 मिनट पर
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 1 अप्रैल, प्रातः 5 बजकर 42 मिनट पर
ऐसे में इस साल गणगौर का व्रत 31 मार्च को रखा जाएगा।

गणगौर पूजा विधि
================
गणगौर व्रत के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद, मिट्टी से भगवान शिव और माता गौरी की मूर्तियाँ बनाकर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाने चाहिए।
इसके पश्चात, विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए।
भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, अक्षत, रोली, और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्हें दूर्वा चढ़ानी चाहिए।
भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष धूप और दीप जलाना चाहिए। उन्हें चूरमे का भोग भी अर्पित करना चाहिए।
एक थाली में चांदी का सिक्का, सुपारी, पान, दूध, दही, गंगाजल, हल्दी, कुमकुम, और दूर्वा डालकर सुहाग जल तैयार करें।
फिर, दूर्वा से इस सुहाग जल को भगवान शिव और माता पार्वती पर छिड़कें, और अंत में इसे घर के सदस्यों पर भी छिड़कें।

गणगौर का महत्व
===============
राजस्थान में विवाहित, नवविवाहित और अविवाहित महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं। इस पर्व के संबंध में मान्यता है कि यदि विवाहित और नवविवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईशर और गणगौर की पूजा करती हैं, तो उनके पतियों की उम्र लंबी होती है। वहीं, अविवाहित महिलाएं इस त्योहार को मनाकर भगवान शिव जैसे पति की प्राप्ति की कामना करती हैं।

गणगौर उत्सव क्यों मनाया जाता है?
===========================
गणगौर पूजा महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखती है। यह देवी गौरी या पार्वती का सम्मान करते हुए विवाह और प्रेम का जश्न मनाने के लिए है। खास तौर पर राजस्थान में, यह माना जाता है कि वैवाहिक प्रेम और पूर्णता देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व करती है। विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं गणगौर उत्सव में उत्साहपूर्वक भाग लेती हैं, शिव और पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं, उन्हें आकर्षक कपड़े पहनाती हैं और गणगौर पूजा करते समय उनकी पूजा करती हैं। वैवाहिक सुख की प्रार्थना के लिए महिलाएँ दिन भर उपवास रखती हैं। गणगौर के दिन स्वादिष्ट भोजन तैयार किया जाता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments