मासिक शिवरात्रि आज

img 20250326 wa0007
-राजेन्द्र गुप्ता
*****************
सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि पर्व का खास महत्व है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।
धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शादी शीघ्र हो जाती है। साथ ही मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
===================
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 मार्च को देर रात 11 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 28 मार्च को शाम 07 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में शिव-शक्ति की पूजा होती है। अतः 27 मार्च को चैत्र माह की शिवरात्रि मनाई जाएगी।
मासिक शिवरात्रि शुभ योग
================
मासिक शिवरात्रि पर साध्य और शुभ योग का निर्माण हो रहा है। साध्य योग का संयोग 27 मार्च को सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक है। इसके बाद शुभ योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी योग है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी।
शिव जी की पूजा विधि
===================
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ हो जाएं।
मंदिर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव जी और पार्वती माता की मूर्ति स्थापित करें।
कच्चे दूध, गंगाजल, और शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, और भांग आदि अर्पित करें।
भगवान शिव को मखाने की खीर, फल, हलवा या फिर चावल की खीर का भोग लगाएं।
साथ ही माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें।
दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
शिव चालीसा और शिव जी के मंत्रों का जप करें।
अंत में सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।
शिव जी के मंत्र
==================
शिव मूल मंत्र – ॐ नमः शिवाय॥
भगवान शिव का गायत्री मंत्र – ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
ध्यान मंत्र – करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा। श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं। विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व। जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
रुद्र मंत्र – ॐ नमो भगवते रुद्राये।।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments