शनि प्रदोष व्रत आज

राजेन्द्र गुप्ता,
साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह विशेष व्रत शनिवार को पड़ने की वजह से ये शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधि पूर्वक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस बार शनि प्रदोष व्रत पर चार शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन को और भी विशेष बना रहा है। इसके अलावा शिव आराधना के लिए भक्तों को ढाई घंटे से अधिक का शुभ समय प्राप्त होगा।
शनि प्रदोष व्रत की तिथि
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दृक पंचांग के अनुसार, पौष शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 11 जनवरी 2025, शनिवार, सुबह 8:21 बजे से होगा और 12 जनवरी, सुबह 6:33 बजे इसका समापन होगा। व्रत और पूजा का विधान तिथि के प्रारंभिक समय के अनुसार 11 जनवरी को किया जाएगा।
शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त
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शिव पूजा का शुभ समय- शाम 5:43 बजे से रात 8:26 बजे तक।
कुल समय- 2 घंटे 42 मिनट।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:08 बजे से 12:50 बजे तक।
इन मुहूर्तों में शिव पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
शनि प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक का समय
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शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का विशेष रूप से रुद्राभिषेक किया जाता है।
शिववास कैलाश पर: सुबह 8:21 बजे तक।
शिववास नंदी पर: 12 जनवरी, सुबह 6:33 बजे तक।
शिववास भोजन में: इसके बाद शिववास भोजन में रहेगा।
इन विशेष समयों में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
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जो लोग भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं। उन्हें यह व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि ऐसे लोगों का जीवन में चल रहा बुरा समय खत्म होता है। और सुख-शांति व सौभाग्य मिलता है। इस व्रत से इच्छाएं पूरी होती हैं। और समृद्धि मिलती है। मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से शनि देव की कृपा मिलती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में शनि प्रदोष व्रत
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इस बार का शनि प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में किया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार, जो व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में किया जाता है। उसका फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने का महत्व बढ़ जाता है। शनि देव की पूजा का भी विशेष फल प्राप्त होगा।
कैसे करें शनि प्रदोष व्रत पर पूजा
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हिंदू धर्म में विधान है कि प्रदोष व्रत रखते हैं तो उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। स्नान करना चाहिए। साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मंदिर जाकर शिवलिंग पर सफेद चंदन, फूल, बेलपत्र आदि अर्पित करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। पूरे दिन व्रती रहें। शाम को प्रदोष काल के समय पूजा का विधान है। प्रदोष काल में घी का दीपक जलाएं। शिव चालीसा का पाठ करें। भोलेनाथ के मंत्रों का जप करें। मां पार्वती की पूजा करें। पूजा के बाद आरती करें। और भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं। इस दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान देना शुभ माना जाता है।
शनि प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय
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शनि प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल दूध और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष से शांति मिलती है।
इस शिवलिंग पर केसर चढ़ाने की मान्यता भी है। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है।
इस दिन शिव जी को गंगाजल और चावल अर्पित करने से व्यक्ति कर्ज मुक्त हो जाता है। साथ ही उसे धन का लाभ भी होता है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन भक्ति भाव से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है।
इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल और तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भी दान करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख शांति आती है।
शनि देव को नीला रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन नीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। साथ ही नीले रंग के फूल भी शनि देव को चढ़ाने चाहिए।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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