
-राजेन्द्र गुप्ता-
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सनातन धर्म के लोगों के लिए सत्यनारायण व्रत का खास महत्व है। ये व्रत हर माह पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है, जिस दिन श्री हरि के सत्य रूप यानी सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से सत्यनारायण व्रत करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में आ रही सभी तरह की परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। इसके अलावा पापों से भी मुक्ति मिलती है।
सत्यनारायण व्रत कब रखा जाएगा?
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वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर 2024 को प्रात: काल 06 बजकर 19 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 16 नवंबर 2024 को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार 15 नवंबर 2024 को सत्यनारायण व्रत रखा जाएगा।
15 नवंबर को पूजा के शुभ मुहूर्त
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सत्यनारायण पूजा मुहूर्त- प्रात: काल 06:44 से लेकर सुबह 10:45 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:49 से लेकर दोपहर 12:33 तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05:09 से लेकर सुबह 05:57 तक
राहु काल- सुबह 10:49 से लेकर दोपहर 12:11 तक
सत्यनारायण व्रत की पूजा विधि
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व्रत के दिन व्रती प्रात: काल उठें।
स्नान आदि कार्य करने
के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर की साफ-सफाई करें।
भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद उन्हें अर्घ्य दें।
मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा चौकी पर स्थापित करें।
गंगाजल या पंचामृत से भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा का अभिषेक करें।
देवता का हल्दी से तिलक करें।
भगवान को पीले फूलों की माला, फल, मिठाई और फूल अर्पित करें।
घी का दीपक जलाएं।
व्रत का संकल्प लें।
सत्यनारायण व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती करके पूजा का समापन करें।
सत्यनारायण पूजा का महत्व
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फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि सबसे शुभ तिथियों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इस शुभ दिन पर साधक सत्यनारायण व्रत भी रखते हैं। पूर्णिमा का दिन सभी धार्मिक गतिविधियों जैसे कि हवन, गंगा नदी में पवित्र स्नान, दान आदि के लिए शुभ है। इस पवित्र दिन पर विष्णु जी के मंदिरों में जाना अत्यधिक लाभकारी होता है, क्योंकि वे इस जगत के संरक्षक हैं और यह वह दिन भी है जब उन्होंने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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