कन्या पूजन आज

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-राजेन्द्र गुप्ता-

rajendra gupta
राजेन्द्र गुप्ता

देवी दुर्गा के अवतारों का प्रतिनिधित्व करती हैं कन्याएं
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मासिक दुर्गा अष्टमी 13 अगस्त को मनाई गयी थी, चौदह अगस्त को कन्या पुजन किया जायेगा। कन्याएं देवी दुर्गा के अवतारों का प्रतिनिधित्व करती हैं। साथ ही मां लक्ष्मी का भी स्वरूप मानी जाती है। यह अनुष्ठान आमतौर पर अष्टमी व नवमी तिथि पर किया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे नवरात्र के अन्य दिनों पर भी कर लेते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस कालासुर को हराने के लिए एक युवा लड़की के रूप में अवतार लिया था। इसलिए नवरात्र पर कन्या पूजन को बेहद शुभ माना जाता है।

कन्या पूजन विधि
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पूजा की शुरुआत कन्याओं के स्वागत से करें।
इसके बाद उनके पैर धोकर आसन पर बिठाएं।
कलावा, पवित्र धागा, माथे पर लाल कुमकुम लगाएं।
पूड़ी, काले चने, नारियल और हलवे को भोग के रूप में खिलाएं।
इसके बाद कन्याओं को उपहार जैसे- चुनरी, चूड़ियां और नए कपड़े दें।
फिर फल और दक्षिणा क्षमता अनुसार दें।
इसके साथ ही पैर छूकर कन्याओं का आशीर्वाद लें।
अंत में उन्हें थोड़ा अक्षत देकर उनसे अपने घर में छिड़कने को बोलें, साथ ही स्वयं भी लें।

कन्या पूजा का महत्व
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कन्या पूजन कन्याओं का सम्मान और पूजा करने का एक उत्तम तरीका है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कुमारी पूजा के लिए दो से दस साल की कन्या उपयुक्त होती हैं। दो से दस वर्ष तक की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
इसके अलावा लंगूर के रूप में एक लड़के को भी इस पूजा में शामिल किया जाता है, जिसे भैरव बाबा व हनुमान जी का प्रतीक माना जाता है।

कन्या पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा
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पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, इंद्रदेव देवी मां को प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि, देवी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। ब्रहाा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें भोजन करवाया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर माता प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि, तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

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