
-राजेन्द्र गुप्ता
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चतुर्थी व्रत बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष के दौरान और संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। हर संकष्टी चतुर्थी का अपना अलग नाम और महत्व है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष यानी 17 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कब है?
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हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 मार्च को रात 07 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं इसकी समाप्ति 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी। इस दिन चंद्रोदय के समय पूजा का विधान है। ऐसे में 17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
पूजा विधि
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सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
अपने घर और पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ करें।
एक चौकी लें उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
देसी घी का दीपक जलाएं, पीले फूलों की माला अर्पित करें।
तिलक लगाएं, मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
फिर दूर्वा घास अर्पित करें।
गणेश जी के इस मंत्र ”ॐ भालचंद्राय नमः” का 108 बार जाप करें।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
आखिरी में भव्य आरती करें।
भगवान गणेश का आशीर्वाद लें और जीवन से सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
पूजा पूरी होने के बाद घर व अन्य लोगों में प्रसाद बांटें।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन इन बातों का रखें ध्यान
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इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें।
अन्न और धन का मंदिर या गरीब लोगों में दान करें।
व्रत से जुड़े नियम का पालन करें।
गणेश चालीसा और मंत्रों का जप करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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