इस बार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के त्योहार राखी पर भद्रा का साया है। भद्रा को लेकर आम जन में असमंजस की स्थिति है। जिसकी वजह से इस त्योहार की चमक फीकी पड़ गई है। उनकी समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह भद्रा ऐसी क्या बला है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। अधिकांश मौकों पर रक्षा बंधन पर भद्रा का प्रभाव रहता है लेकिन इस बार यह अवधि पूरे दिन की है इसलिए भद्रा की चर्चा को ज्यादा बल मिला है। अधिकतर लोगों को यह उत्सुकता है कि आखिरकार यह भद्रा क्या है और भद्रा काल क्या होता है तथा इसके होने पर मांगलिक कार्य क्यों नहीं किए जाते हैं। पुराणों के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन और सूर्य देव की पुत्री हैं। इनका स्वभाव भी अपने भाई शनि की तरह कठोर माना जाता है। भद्रा के स्वभाव को समझने के लिए ब्रह्मा जी ने इनको काल गणना यानी पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है। हिंदू पंचांग को 5 प्रमुख अंगों में बांट गया है। ये हैं – तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इसमें 11 करण होते हैं जिनमें से 7वें करण विष्टि का नाम भद्रा है।

भद्राकाल में क्यों राखी नहीं बांधी जाती है
जब भद्रा का समय होता है तो यात्रा, मांगलिक कार्य आदि निषेध होते हैं। रक्षा बंधन को शुभ काम माना गया है, इस वजह से भद्रा के साए में राखी नहीं बांधी जाती है। मान्यता है कि रावण की बहन शूर्पनखा ने उसे भद्रा काल में राखी बांधी थी जिसके बाद उसके राजपाट का विनाश हो गया। हालांकि भद्रा काल में कुछ कार्य किए जा सकते हैं। शनि को न्याय का देवता माना जाता है और भद्रा को उनकी बहन होने के कारण भद्राकाल मेंं कोर्ट कचहरी जैसे काम किए जा सकते हैं।

चंद्रमा की राशि से तय होती है भद्रा की स्थिति

मुहुत्र्त चिन्तामणि के अनुसार चंद्रमा की राशि से भद्रा का वास निर्धारित किया जाता है। मान्यता है कि जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। चंद्रमा के कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में स्थित होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में माना गया है। गणणाओं में भद्रा का पृथ्वी पर वास ही भारी माना गया है।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

मास की पूर्णिमा को हिन्दू मतावलंबी भाई बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन मनाते हैं । इस वर्ष ११ जुलाई को श्रावण पूर्णिमा है लेकिन भद्रा नक्षत्र होने के कारण रक्षाबंधन पर विद्वानों में मतैक्य नहीं है कुछ का कहना है भद्रा पाताल लोक में है इसलिए राखी बांधी जा सकती है दूसरे विद्वानों। का मत है कि भद्रा किसी लोक में हो,इसका प्रभाव इस लोक के प्राणियों पर पड़ता है और राखी बांधने पर अनिष्ट होने की संभावना बनी रहती है। सांसारिक प्राणी, हमेशा मंगल मय हो, का आशीष वचन देता है। ऐसे में किसी शंका से परे हटकर शुभ काल में राखी बंधन उचित प्रतीत होता है। हिन्दू धर्म में त्योहार/पर्व मनुष्य की जिंदगी में उल्लास,प्रेम तथा भाईचारा पैदा करते हैं इसलिए अशुभ घड़ी के मुहूर्त से बचना चाहिए।