
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ फागुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से हुआ।

माना जाता है कि महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा होती है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार आज 18 फरवरी 2023 को को मनाया जा रहा है।

हिन्दू धर्म के अनुसार सृष्टि का संचालन तीन देव करते हैं। ब्रह्मा को रचना विष्णु को संचालन और महेश को इस सृष्टि के विनाश के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इन तीनों ही देवताओं को एक साथ त्रिदेव की उपाधि दी गयी है। भगवान भोलेनाथ को देवो के देव महादेव भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।

कोटा में रेतवाली स्थित नीलकंठ महादेव यहां स्वयं भू हैं। माना जाता है कि यह महादेव स्वयं स्थापित हुए हैं। मान्यता है कि यह मंदिर 1500 वर्ष पुराना है। यहां 1500 वर्ष पूर्व का शिलालेख लगा हुआ है। इस शिवलिंग की जड़े पाताल तक जाती हैए इसलिए इसे हार्डकेश्वर लिंगम कहा जाता है। शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा करीब एक फीट से अधिक है। हालांकि यह हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि तथा सावन माह में तो श्रद्धालुओं की भारी भीड उमडती है।
