‘दरा की नाल के झामरा में मिला सदियों पुराना वीरान मंदिर ‘

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-धीरेन्द्र राहुल-
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धीरेन्द्र राहुल

(वरिष्ठ पत्रकार)

कोटा के इतिहासकार डाॅक्टर मथुरालाल शर्मा ने अपनी पुस्तक में दरा की नाल में दो गुप्तकालीन मन्दिरों का जिक्र किया है। इन मन्दिरों के स्तम्भ अनोखे हैं और छत विशाल शिलाओं से बनाई गई हैं। इन दो गुप्तकालीन मन्दिरों में एक तो भीम चौरी ( भीम चंवरी ) के बारे में डाॅ. मथुरालाल शर्मा का कहना था कि यह पांचवीं शताब्दी का मन्दिर है। इस बारे में पहले लिख चुका हूं।
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यहां जो फोटो दिए गए हैं, वे भी दरा की नाल में स्थित झामरा गांव के एक प्राचीन मन्दिर के हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन ने वहां नीला बोर्ड लगाकर उसे संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है।
कह नहीं सकते कि डाॅक्टर मथुरालाल शर्मा जिन दो मन्दिरों का जिक्र कर रहे हैं, क्या वह दूसरा मन्दिर यही है। और अगर यह नहीं है तो फिर दूसरा मन्दिर है कहां ? इस मंदिर के बारे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संगठन के बोर्ड से कोई जानकारी नहीं मिलती कि यह मंदिर किस कालखण्ड में बना और किसने बनाया?
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इस मंदिर की चौखट पर उत्कीर्ण प्रतिमा को देखकर लगता है कि यह जैन मन्दिर हो सकता है लेकिन पिछले तीन दशकों वहां रह रहे साधु महाराज का कहना है कि यह विष्णु मन्दिर है। लेकिन मन्दिर में कोई भी देव प्रतिमा नहीं है, मन्दिर खाली पड़ा है।
झामरा के आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि झामरा गांव तीन बार उजड़ा और फिर बसा है। साधु महाराज सच कह रहे हैं। अंतिम बार झामरा सौ साल पहले महामारी से ऊजड़ा था।
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दरा के पठार पर बसे पद्मपुरा, कोथला गांव का मैंने दौरा किया था और तीन दशक पहले ‘आओ गांव चले’ स्तम्भ में इन गांवों के महामारी से उजड़ने की कहानी लिखी थी। बुजुर्गों ने बताया था कि सन् 1917 से 1920 में लाल बुखार फैला था जिसमें इन दोनों गांवों की 90 फीसद आबादी कलकवलित हो गई थी। यह संभवतः एवियन फ्लू था जो पक्षियों के संक्रमित होने यानी बर्ड फ्लू था।
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विश्व के सभी महाद्वीपों में इस फ्लू से पांच करोड़ लोग मारे गए थे। भास्कर ने बहुत पहले इस पर स्टोरी छापी थी।
सन् 1901 में कोटा शहर की आबादी 33 हजार थी जो लाल बुखार की वजह से सन् 1921 की जनगणना में घटकर 30 हजार रह गई थी। करीब तीन हजार लोग मारे गए थे। वनों में स्थित गांव पक्षियों की वजह से ज्यादा प्रभावित हुए थे। झामरा गांव भी उसी समय उजड़ा था।
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डॉ मथुरालाल शर्मा की पुस्तक का वह हिस्सा जिसमें दरा की नाल में दो गुप्तकालीन मंदिरों की जानकारी है।
यह गांव दरा की नाल में स्थित रेललाइन के पुल से भटवाड़ा- चेचट मार्ग पर 6 किलोमीटर दूर है।
( झामरा के इस परित्यक्त मन्दिर के बारे में आपके पास कोई सूचना हो तो साझा कर सकते हैं )।
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