एनस्थिसिया की ओवरडोज से दिव्यांग हुआ महेश एम्स में पढ़कर बनेगा डॉक्टर

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-75 प्रतिशत दिव्यांग महेश दीघा का एम्स भोपाल में एमबीबीएस के लिए चयन

कोटा. लग गई आग मेरे घर में सबकुछ जल गया है, जला नहीं मैं तो समझो जला ही क्या है ?
ये पंक्तियां हौसले को बयां करती है, जो हर परिस्थिति में खड़ा होने का साहस देती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है एलन स्टूडेंट महेश कुमार दीगा, जो शारीरिक रूप से दुर्बल है लेकिन मानसिक रूप से इतना मजबूत है कि अपनी मंजिल की ओर लगातार बढ़ रहा है। महेश ऐसा विद्यार्थी है जिसने 75 प्रतिशत शारीरिक दुर्बलता के बावजूद नीट क्रेक करने की चुनौती को स्वीकार किया और जीत हासिल की। वर्ष 2024 नीट के नतीजों में सफल होने के बाद अब एम्स भोपाल से एमबीबीएस करेगा।
महेश के पैर शरीर का बोझ नहीं उठा सकते, जिंदगी बैसाखी और व्हील चेयर पर है। परिवार कोटा के दीनदयाल नगर निवासी है। पिता रामप्रताप मीणा सरकारी नौकरी में हैं जबकि मां सुनीता गृहिणी हैं। महेश की बड़ी बहिन भी नीट की तैयारी कर रही है, छोटी बहिन अभी स्कूल में है।

एनेस्थिसिया की ओवरडोज से हुआ दिव्यांग
महेश के पिता दीनदयाल ने बताया कि जन्म से ही उसकी खाने की नली में कुछ विकार था। सर्जरी के अलावा अन्य कोई उपचार नहीं था। जब वो महज 11 महीने का था तो एम्स दिल्ली में सर्जरी के लिए कहा गया। हम वहां पहुंचे और सर्जरी हुई। इस दौरान डॉक्टरों ने उसे एनेस्थिसिया का ओवरडोज दे दिया था। उसे मात्र पांच एमएल एनेस्थिसिया दिया जाना था लेकिन, डॉक्टरों ने उसे 50 एमएल एनेस्थिसिया दे दिया था। इसके बाद शरीर में नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया। जिस समस्या के लिए सर्जरी की गई थी वो तो सही हो गई लेकिन एक नई समस्या हो गई कि पैरों ने शरीर का भार झेलना बंद कर दिया, जिंदगी बैसाखी पर आ गई। ईलाज चला, कोशिश भी खूब हुई, करीब पांच साल तक हाथ में कैनुला लगा रहा। इस दौरान बार-बार यूरीन इंफेक्शन होता रहता था। उस समय जीवन में इतनी दौड़ भाग हुई जो भुलाए नहीं भूल सकते।
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बैसाखी के सहारे ही स्कूलिंग
महेश ने बताया कि बैसाखी के सहारे ही उसने स्कूलिंग पूरी की। उसने 12वीं कक्षा 76 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। जबकि पीसीबी में उसने 86 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इसके बाद उसने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। पूरे साल वो बैसाखी के सहारे ही कोचिंग आता और पढ़ाई करता रहा। पहले अटैम्प्ट नीट 2023 में मार्क्स नहीं आने से मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला लेकिन, महेश ने हिम्मत नहीं हारी। दोगुने जोश व उत्साह के साथ फिर तैयारी प्रारंभ की और नीट 2024 की परीक्षा को क्रेक कर दिखाया। उसने पीडब्ल्यूडी कैटेगिरी में 715 रैंक हासिल की है।
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लोगों की मदद करना चाहता हूं
महेश ने बताया कि डॉक्टर बनने का सपना देखा था जोकि एलन के सहयोग से साकार होने जा रहा है। अब एमबीबीएस पूरी करने के बाद मैं उन लोगों की मदद करना चाहता हूं जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं। एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन के बारे में फिलहाल कुछ सोचा नहीं है।

ये विद्यार्थी सच्ची प्रेरणा
अभाव और विपरीत हालातों में स्वयं को साबित करने वाले ये विद्यार्थी ही दूसरे विद्यार्थियों के लिए असली प्रेरणा हैं। ये सिखाता है कि परिस्थितियां कुछ भी हो हमें आगे बढ़ने की सोचनी है। लगातार अपने लक्ष्य को लेकर मेहनत करनी है। महेश को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। – डॉ.नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्रा.लि.

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