नयी शिक्षा नीति के विरुद्ध संघर्ष में समाज के हर वर्ग को जुड़ना होगा

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कोटा।अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (ऐआईफुक्टो) तथा जॉइंट फोरम फॉर मूवमेंट ओन एज्युकेशन (जेऍफ़एमइ) के आवाहन पर नयी दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर के लोकतान्त्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले उच्च शिक्षा तथा स्कूली शिक्षा के शिक्षक संगठनो छात्र संघो महिला किसान तथा वैज्ञानिक संगठनो के प्रतिनिधियों ने प्रतिगामी तथा कॉपोरेटपरस्त नयी शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग करते हुए एक दिवसीय धरना दिया. धरने को शिक्षकों तथा छात्रों के अतिरिक्त सीपीएम के नीलोतपर बासु सीपीआई के डि राजा तथा सीटू के तपन सेन ने भी सम्बोधित किया. सभी वक्ताओं का मानना था की मनमानी पर उतारू इस निरंकुश सरकार को झुकाना आसान नहीं है. किसानों को भी लम्बे और कठोर संघर्ष के बाद सफलता मिली. शिक्षक वर्ग से अकेले ऐसे संघर्ष की अपेक्षा नहीं की जा सकती. चूँकि यह शिक्षा नीति गरीबों और आमजन विरोधी है इसलिए सभी वर्गों को इसके विरोध में आना होगा.
केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्र ने कहा की शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन लाती है. महाभारत काल में तो एकलव्य का अंगूठा एक ही बार कटा था नयी शिक्षा नीति में यह हज़ार बार कटेगा.
राजस्थान का प्रतिनिधित्व
इस धरने में राजस्थान से कुल 76 कालेज शिक्षक रुकटा अध्यक्ष डा. रघुराज परिहार के नेतृत्व में शामिल हुए. ऐआईफुक्टो के उपाध्यक्ष जयपुर से आये डा. घासीराम चौधरी ने कहा की राजस्थान की गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के हित में तथा अनेक जन हितैषी काम किये हैं किन्तु नयी शिक्षा नीति के मामले में उसका मौन खेदजनक है. राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रांतीय अध्यक्ष महावीर सिहाग ने कहा की राजस्थान में केवल छात्र और शिक्षक ही नहीं बल्कि हर इंसान नयी शिक्षा नीति की कुटिलता को समझने लगा है वह अब सड़कों पर उतरेगा. कार्यक्रम का संचालन सेंट स्टीफेंस की नंदिता नारायण ने किया. ऐआईफुक्टो के महासचिव अरुण कुमार ने बताया की सभी का साझा मांगपत्र राष्ट्रपति प्रधानमंत्री तथा शिक्षा मंत्री को प्रेषित कर दिया गया है.

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
1 year ago

नई शिक्षा नीति का विरोध ,कुछ शिक्षक संगठनों के साथ देश के वाम पंथी दलों के की नेता भी कर रहे हैं.वाम पंथी काल मार्क और लेनिन की विचार धारा के अनुआई है लेकिन शिक्षक संगठनों को स्कूल,कालेज तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर में आ रही दिनों-दिन गिरावट पर भी तो गौर करना चाहिए=