
-राजेन्द्र सिंह जादौन-
देश में इस समय नीट_यूजी घोटाले ने विशेषज्ञ सेवाओं की चयन प्रक्रिया के गिरते स्तर की ओर ध्यान खींचा है। नीट_यूजी घोटाला यह स्पष्ट कर रहा है कि आपके इलाज करने वाले जो डॉक्टर डिग्री लेकर निकलेंगे वो नकल,पेपर लीक और ऐवजी परीक्षार्थी के सहारे सफल होने से एक सक्षम डॉक्टर की तरह आपको सेवाए नही दे सकेंगे। नीट_यूजी परीक्षा राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा होती है जो कि मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाती है।इस बार यह परीक्षा पिछले माह पांच मई को देश के अलग अलग केंद्रो पर आयोजित की गई थी।इस परीक्षा का परिणाम 14जून को आना था लेकिन चार जून को ही तब जारी कर दिया गया जबकि लोकसभा चुनाव परिणाम आए थे।परीक्षा की पवित्रता पर यही से सवाल उठने शुरू हुए कि क्यों नीट_यूजी का परिणाम दस दिन पहले जारी कर दिया गया।फिर परिणाम में जो सामने आया उसने तो सीधे तौर पर घोटाला साबित कर दिया। नीट में इस बार 67परीक्षार्थी टॉपर बताए गए।इन सभी ने पूर्णांक 720प्राप्त किए।पहले कभी इस परीक्षा में इतनी संख्या में टॉपर नही होते थे।पहले टॉपर एक दो ही होते थे।फिर इस बार एक ही केंद्र से आठ परीक्षार्थी टॉपर हो गए।परिणाम आने पर हड़कंप मच गया।परीक्षा में देश भर से शामिल हुए 24लाख के करीब परीक्षार्थी सकते में आ गए। बिहार में तो धांधली का आरोप लगाते हुए मुकदमे दर्ज करवाए गए।हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जांच के लिए याचिकाएं दायर की गई।नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अपनी सफाई में कहा कि ग्रेस अंक देने से इतने टॉपर हो गए।ग्रेस अंक देने का प्रावधान इस परीक्षा में होता नही है।इसलिए एजेंसी की यह दलील नामंजूर कर दी गई।ग्रेस अंक देने के पीछे जो कारण बताए उनमें परीक्षार्थियों को समय कम मिलना भी एक था।एजेंसी आंतरिक जांच कराने की बात भी कह रही है। लेकिन परीक्षार्थी इसे स्वीकार नही कर रहे।उनकी दलील है कि दोषी ही अपनी जांच कराने की बात कर रहे है।इस तरह यह एक बड़ा परीक्षा घोटाला है।
नीट_यूजी घोटाले को व्यापम घोटाला_2कहा जा रहा है।व्यापम घोटाला मध्यप्रदेश में वर्ष2013में सामने आया था। व्यवसायिक परीक्षा मंडल को संक्षेप में व्यापम कहा गया था।व्यापम घोटाले में भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई में प्रवेश के लिए नकल, पेपर लीक और ऐवजी परीक्षार्थी जैसे हथकंडे इस्तेमाल किए गए थे।व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे।व्यापम घोटाले में मध्यप्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री को गिरफ्तार किया गया था और तत्कालीन राज्यपाल के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था।यह भी तथ्य सामने आया था कि घोटाले से जुड़ा एक साधारण शिक्षक चार हजार करोड़ का मालिक बन गया।मामले को जांच में सैकड़ों आरोपी बनाए गए थे।रहस्यमय बात यह थी कि मामले से जुड़े करीब पचास लोगो की संदिग्ध मौत हुई थी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)