
– क्या ओम बिरला ही लोकसभा अध्यक्ष होंगे ?
-देवेंद्र यादव-

राजनीतिक गलियारो और मीडिया पर बैठकर राजनीतिक पंडित और विश्लेषण बतिया रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन की सरकार कैसे चला पाएंगे क्योंकि नरेंद्र मोदी को इसका अनुभव नहीं है ? अभी तक मोदी ने लगातार दो बार पूर्ण बहुमत और प्रचंड बहुमत की अपनी सरकार चलाई हैं मगर पहली बार मोदी का सामना गठबंधन से हुआ है, मोदी गठबंधन की सरकार को कैसे चला पाएंगे ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मनमर्जी से मंत्रिमंडल का गठन और विभागों का बंटवारा कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। मोदी ने अपने ऊपर संदेह करने वाले राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों को बता दिया कि मोदी है तो मुमकिन है।
मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन अपने मन मुताबिक किया और मंत्रियों को विभागों का बंटवारा भी अपने मन के मुताबिक ही किया ।
2019 के मंत्रिमंडल पर नजर डालें तो, लग ही नहीं रहा की नरेंद्र मोदी ने 2024 में अपना नया बनाया है। वही अमित शाह राजनाथ सिंह निर्मला सीतारमन, नितिन गडकरी जैसे नेता मंत्रिमंडल में शामिल हैं और वही विभाग भी उनके पास हैं जो 2019 में थे।
यदि मोदी के मंत्रिमंडल गठन और विभागों के बंटवारे के पैटर्न को देखें तो, मोदी सहयोगी दलों के दबाव में आकर सरकार नहीं चलाएंगे, भले ही मोदी सरकार का त्याग कर देंगे। इसके लिए मोदी ने पाल भी बांध ली है। पंजाब तमिलनाडु और केरल में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए मोदी ने अपनी सरकार में तीन नेताओं को मंत्री बनाया है !
पंजाब और तमिलनाडु में तो मोदी ने लोकसभा चुनाव हारे हुए नेताओं को मंत्री बना दिया ?
मोदी के द्वारा किए गए अपने नए मंत्रिमंडल के गठन और विभागों के बंटवारे मैं झलक दिखाई दे रही है कि मोदी गठबंधन सरकार में शामिल अन्य दलों के नेताओं के दबाव में आकर अपनी सरकार नहीं चलाएंगे भले ही उन्हें सरकार का त्याग करना क्यों ना पड़े ?
मोदी के पैटर्न को देखने से लगता है कि लोकसभा का अध्यक्ष भी ओम बिरला ही होंगे। जिन्हें अभी होल्ड पर रखा हुआ है उन्हें मंत्री परिषद में जगह नहीं मिली है शायद इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ओम बिरला को ही लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बनाकर इतिहास लिखेंगे।
ओम बिरला ने 2019 में लोकसभा अध्यक्ष रहते हुए संसद के भीतर इतिहास लिखे हैं जिन्हें देश हमेशा याद करेगा।
ओम बिरला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए लकी लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं जिनकी मौजूदगी में मोदी सरकार ने संसद में बड़े-बड़े फैसले लिए और कानून बनाए।
मोदी गठबंधन में शामिल दलों के सामने मंत्रिमंडल के गठन और विभागों के बंटवारे को लेकर नहीं झूके क्या लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर गठबंधन दलों के नेताओं के सामने मोदी झुक जाएंगे ऐसा तो लगता नहीं है ?
मोदी और शाह मंत्रिमंडल गठन और विभागों के बंटवारे की तरह लोकसभा अध्यक्ष भी अपने मन के मुताबिक ही बनवाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)