पीएम मोदी के बाद अब राहुल गांधी के बिहार दौरे पर नजर!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति अनुकूल होती जा रही है। बिहार की राजनीति में राजनीतिक पंडित, विश्लेषक और मीडिया कांग्रेस को सबसे कमजोर कड़ी के रूप में देख रहे थे। तब मैं लिख रहा था कि बिहार में कांग्रेस कमजोर नहीं है। यदि कांग्रेस हाई कमान खासकर राहुल गांधी बिहार कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझें और चुनावी रणनीति बनाएं तो कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की स्थिति में आ जाएगी। जब सभी लोग बिहार में कांग्रेस को कमजोर बता रहे थे तब पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव एकमात्र नेता थे जो कह रहे थे कि बिहार में यदि भाजपा नीत गठबंधन को कोई टक्कर और भाजपा को हरा सकता है तो वह कांग्रेस है। बिहार में कांग्रेस के अनुकूल सबसे ज्यादा माहौल पप्पू यादव ने ही बनाया है। यदि ईमानदारी से राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो और जनसभा में भीड़ क्यों नहीं जुट पाई इसका विश्लेषण करें तो पप्पू यादव के वह बयान थे जिन्होंने भाजपा के बिहार को लेकर इरादों की हवा निकाल दी।
राहुल गांधी ने बिहार के पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझा और कांग्रेस को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने बिहार के चार दौरे और तीन बड़े बदलाव किए जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में कांग्रेस मजबूत नजर आने लगी।
संभावित 6 जून को राहुल गांधी बिहार का पांचवा दौरा करेंगे। 29 और 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार का दौरा किया था। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो और जनसभा में अधिक भीड़ नजर नहीं आई। अब नजर राहुल गांधी के दौरे पर है। क्या राहुल गांधी बिहार में रोड शो जनसभा करेंगे, और उनके रोड शो और जनसभा में कितनी भीड़ नजर आएगी, इस पर सभी की नजर होगी। जिस प्रकार से पहली बार कांग्रेस हाई कमान ने बिहार में महिलाओं की समस्याओं को लेकर, बिहार की महिला नेत्री राज्यसभा सांसद रंजीता रंजन को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जिम्मेदारी दी थी, उससे लगता है कि राहुल गांधी का बिहार का पांचवा दौरा महत्वपूर्ण होगा और राहुल गांधी को सुनने के लिए भीड़ भी जुटेगी। रंजीता रंजन की प्रेस वार्ता से संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस हाई कमान खासकर राहुल गांधी पप्पू यादव परिवार को बिहार में बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बना चुका है। इसकी वजह यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के बाद से ही बिहार में पप्पू यादव परिवार कांग्रेस को मजबूत करने में जुटा हुआ था, और आज भी यह परिवार खुलकर राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ पूरी ईमानदारी और वफादारी के साथ खड़ा हुआ है।

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बिहार में कांग्रेस के पास अन्य राजनीतिक दलों से ज्यादा मजबूत महिला नेता और कार्यकर्ता हैं। रंजीता रंजन बिहार में एकमात्र महिला नेता है जो हमेशा महिलाओं के लिए संसद से लेकर सड़क पर महिलाओं की आवाज उठाती हैं। रंजीता रंजन बिहार से लोकसभा सांसद भी रही हैं इसलिए बिहार की महिलाओं के बीच उनका प्रभाव भी अधिक है। बिहार में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सरवत जहान फातिमा भी मजबूत नेता हैं। वह भी बिहार में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर एनडीए सरकार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रही हैं। राहुल गांधी ने देश के अनेक राज्यों में कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाए हैं। बिहार में रंजीता रंजन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर जिम्मेदारी दे तो इससे दो मैसेज जाएंगे एक महिलाओं में क्योंकि रंजीता रंजन महिला है और दूसरा ओबीसी और ईबीसी वर्ग पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि रंजीता रंजन इन दोनों ही वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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