
-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को दी जा रही मनभावन योजनाओं की गारंटी का दौर राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी नफा नुकसान की दृष्टि से आखिरी दौर होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव इसका बड़ा टेस्ट साबित होगा क्योंकि सभी राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी तरफ से अनेक घोषणाएं की हैं। राजनीतिक दलों के द्वारा की जा रही घोषणाओं ने दिल्ली के मतदाताओं को भ्रमित कर दिया। मतदाताओं को समझ नहीं आ रहा है कि वह किस पार्टी की घोषणा पर विश्वास करें। दिल्ली में मतदाताओं को बतियाते हुए देखा जा रहा है कि अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। बड़े-बड़े राजनीतिक दल भी मतदाताओं के सामने अपनी अपनी योजनाओं की गारंटियों की घोषणा कर मतदाताओं के सामने एक एक वोट के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। अब तो दिल्ली के अंदर मतदाता भी राजनीतिक पार्टियों की गारंटी की मजाक बनाते हुए खूब लुफ्त उठाते हुए नजर आ रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों की घोषणाओं को मतदाता सीरियस और गंभीरता से लेते हुए नजर नहीं आ रहे हैं इसीलिए सवाल उठता है कि राजनीतिक पार्टियों की गारंटी का दिल्ली चुनाव अंतिम दौर साबित होगा। जनता राजनीतिक दलों की घोषणाऔ पर नहीं बल्कि हकीकत को मान्यता देखकर ईवीएम मशीन का बटन दबाएगी। इसका पहला परिणाम भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में ही देखने को मिलेगा, और यह पता चलेगा की जनता ने किस दल की घोषणा और गारंटी पर बटन दबाया है।
यदि राजनीतिक दलों के अपने स्टार प्रचारक और नेताओं के चुनावी भाषणों की बात करें तो दिल्ली के मतदाताओं के बीच खास कर पूर्वांचल के मतदाताओं के बीच अभी भी बिहार की पूर्णिया से लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव नंबर एक पर बने हुए हैं। जिन्हें सुनने और देखने के लिए जनसैलाब उमड पड़ता है। वह जनता के बीच जाकर पार्टी की नहीं बल्कि अपनी स्वयं की गारंटी दे रहे हैं कि वह दिल्ली की गरीब जनता के लिए स्वयं क्या करेंगे उनकी गारंटी है कि वह गरीब परिवार की बिटिया की शादी में ₹50000 की मदद करेंगे। वहीं उनका कहना है कि पढ़ने वाले गरीब बच्चों की आर्थिक मदद भी करेंगे। वहीं गरीब और बेसहारा लोगों के इलाज में भी वह मदद करेंगे।
क्योंकि पप्पू यादव निर्दलीय सांसद हैं और उनकी अपनी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है जो दिल्ली में विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। पप्पू यादव कांग्रेस के समर्थन में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं लेकिन वह मतदाताओं को गारंटी अपनी स्वयं की दे रहे हैं इसलिए जनता को उनकी बातों और गारंटी में दम नजर आता दिखाई दे रहा है। पप्पू यादव हमेशा निस्वार्थ गरीबों की मदद करते हुए नजर आते हैं।
पप्पू यादव और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं में अंतर यह है कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता जब चुनावी सभा करने जाते हैं तो पहले उनका प्रचार प्रसार किया जाता है फिर उनके स्टार प्रचारक प्रचार करने जाते हैं तब कहीं उन्हें सुनने के लिए लोग नजर आते हैं। मगर पप्पू यादव का अचानक प्रोग्राम बनता है और वह प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं और जनता उन्हें देखने और सुनने के लिए उमड पड़ती है।
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशियों की डूबती नैया को केवल पप्पू यादव ही पार लगा सकते हैं। कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने बड़े-बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में प्रत्याशी बनाया है। सवाल यह है कि क्या यह नेता विजयी होंगे। यह नेता कांग्रेस के भीतर स्वयंभू नेता हैं, इनकी कितनी बड़ी राजनीतिक ताकत है इसका पता भी चल जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)