
-देशबन्धु में संपादकीय
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में फिर से वोट चोरी और चुनावी धांधली के नए सबूत पेश किये हैं। बुधवार शाम को जब सूचना आई कि श्री गांधी 18 सितंबर की सुबह पत्रकार वार्ता करने वाले हैं, तो कयास लगने की लगे कि 1 सितंबर को जिस हाईड्रोजन बम का डर उन्होंने भाजपा को दिखाया था, वो फूटने वाला है। लेकिन वार्ता शुरु होते ही राहुल गांधी ने साफ़ कर दिया कि ‘यह हाइड्रोजन बम नहीं है, वह आने वाला है। आज तो हम इस देश के युवाओं को यह दिखाना और स्थापित करना चाहते हैं कि चुनावों में किस तरह धांधली की जा रही है।’
गौर करने की बात है कि राहुल गांधी ने इस बार पत्रकार वार्ता में युवाओं को संबोधित किया है, क्योंकि इस देश का लोकतंत्र अब युवाओं को ही संभालना है। इसलिए उन्हें न केवल चुनावी प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए, बल्कि ये भी पता होना चाहिये कि इसमें किस किस्म की गड़बड़ी की जा सकती है। अभी यह कहना मुश्किल है कि कितने युवाओं ने यह वार्ता देखी और राहुल गांधी की बात को समझा। लेकिन देश का युवा राहुल गांधी के दिखाये गये सबूतों के आधार पर अगर मोदी सरकार से और चुनाव आयोग से सवाल करने लग जाये तो फिर ऐसी धांधलियों पर काफी हद तक रोक लग जायेगी। गुरुवार की प्रेस काॅन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त को भी कड़ी चेतावनी दी है कि आप को पद संभालते वक़्त ली जाने वाली शपथ याद रखनी चाहिए। राहुल गांधी ने दावा किया कि उनकी पार्टी के समर्थक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने के प्रयास हुए और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ‘लोकतंत्र की हत्या करने वालों’ तथा ‘वोट चोरों’ की रक्षा कर रहे हैं। ‘वोट चोरी’ का काम मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त के संरक्षण हो रहा है।
बता दें कि 7 अगस्त की प्रेस काॅन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा सीट पर कई नाम जोड़े जाने के सबूत पेश किए थे। लेकिन गुरुवार की प्रेस कांफ्रेस में राहुल गांधी ने बताया है कि कैसे मतदाता सूची से नाम काटे गए हैं और इसके लिए अलग-अलग राज्यों से फ़ोन नंबर का इस्तेमाल हुआ है। राहुल गांधी प्रेस काॅन्फ्रेंस में ऐसे लोगों को लेकर भी आए जिनके नाम से वोट काटे गए। इन्हीं में से एक शख़्स ने बताया कि उनके नाम से 12 वोट काटे गए, जबकि उन्होंने कभी ऐसा किया ही नहीं। दो लोग और आये, जिनमें एक का नाम सूची से काटा गया था और दूसरे ने नाम काटने की अर्जी दी थी। लेकिन असल में दोनों ही इस बात से अनजान थे कि उनके नाम पर ऐसा कुछ हुआ है। एक दिलचस्प उदाहरण भी राहुल गांधी ने दिया कि एक शख़्स ने सुबह चार बजे उठकर महज 36 सेकंड में दो अर्जियां दाखिल कीं, यानी आधे मिनट में दो-दो आवेदन दिए गए वो भी सुबह 4 बजे, जिस पर एकबारगी यकीन नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा हुआ है और इस सबके पीछे बड़े पैमाने पर तैयारी की गई है।
राहुल गांधी के मुताबिक योजनाबद्ध तरीके से सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर वोटर लिस्ट से नाम काटा जा रहा है, ख़ास तौर से उन बूथों पर, जहां कांग्रेस के मतदाता ज़्यादा हैं। कर्नाटक की ही आलंद विधानसभा का प्रमाण देते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने कहा कि आलंद में किसी ने 6,018 वोट हटाने की कोशिश की। हमें यह नहीं पता कि 2023 के चुनाव में कुल कितने वोट हटाए गए हैं, लेकिन इतना तय है कि यह संख्या 6,018 से कहीं ज़्यादा थी। राहुल ने बताया कि यह मामला तब सामने आया जब गलती से एक वोट डिलीट करने के दौरान गड़बड़ी पकड़ में आ गई। दरअसल, एक बूथ-लेवल अधिकारी ने देखा कि उसके चाचा का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। जब उसने जांच की कि यह वोट किसने डिलीट किया, तो पता चला कि उसका ही पड़ोसी ज़िम्मेदार दिखाया गया है। लेकिन जब उसने अपने पड़ोसी से बात की, तो उसने साफ कहा कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया। यानी जिसने वोट हटाया और जिसका वोट हटा- दोनों ही इस बात से अनजान थे।
राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले में जांच चल रही है। सीआईडी ने 18 महीने में 18 पत्र चुनाव आयोग को भेजे हैं और पूछा कि हमें डेस्टिनेशन आईपी दीजिए, डिवाईस डेस्टिनेशन के बारे में जानकारी दीजिए, इसके अलावा ओटीपी ट्रेल को भी देने के लिए कहा। कर्नाटक की सीआईडी ने कई बार इसकी मांग चुनाव आयोग से की। लेकिन उस पर चुनाव आयोग ने जवाब नहीं दिया। लेकिन गुरुवार की प्रेस कांफ्रेस के कुछ देर बाद ही चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दावों के स्क्रीन शॉट पर गलत का ठप्पा लगा दिया और कहा कि आरोप गलत और निराधार हैं। आयोग ने अपने बचाव में कहा कि किसी भी वोट को ऑनलाइन किसी के भी द्वारा नहीं हटाया जा सकता, जैसा कि राहुल गांधी ने गलत धारणा बनाई है। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिये बिना कोई भी वोट नहीं हटाया जा सकता।
लेकिन आयोग के इन दावों की व्यावहारिक हकीकत देश जानता है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब किसी को जानकारी दिए बिना, या उसकी सुनवाई के बिना ही वोटर लिस्ट से नाम काटा गया है। बहरहाल चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि 2023 में अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास किए गए थे और मामले की जाँच के लिए चुनाव आयोग के प्राधिकारी द्वारा स्वयं एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन चुनाव आयोग ने अब भी ये नहीं बताया कि सीआईडी कर्नाटक ने 18 अलग-अलग मौकों पर जो जानकारी मांगी, वो क्यों नहीं दी गई। इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ ख़ास लोगों ने यह दावा कैसे किया कि उनके नाम का दुरुपयोग करके नाम हटाये गये, और उन्हें पता ही नहीं चला। क्या चुनाव आयोग यह मानता है कि राहुल गांधी के साथ-साथ उन लोगों ने भी गलत जानकारी दी। अगर ऐसा है तो क्या कोई कार्रवाई की जाएगी। और सबसे आखिरी सवाल जब बार-बार चुनाव आयोग पर उंगली उठ रही है, तो क्या यह बेहतर नहीं होगा कि ज्ञानेश कुमार इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए खुद आगे आएं। बार-बार भाजपा उनके बचाव में क्यों खड़ी हो रही है।