
-देवेंद्र यादव-

कोटा संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने वाले ओम बिरला, 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र समाप्त करने, और 15 अगस्त का पर्व मनाने के बाद दिल्ली से सीधे अपने संसदीय क्षेत्र कोटा आए, तब से लेकर अब तक बिरला ने अपने संसदीय क्षेत्र में ही पड़ाव डाल रखा है।
2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ओम बिरला का अपने संसदीय क्षेत्र में यह तीसरा दौरा है। लोकसभा का चुनाव जीतने और लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बनने के बाद ओम बिरला पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से आए थे, बिरला का संसदीय क्षेत्र के लोगों ने जबरदस्त स्वागत किया था।
विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव ओम बिरला ने लगातार जीते। वह एक भी चुनाव नहीं हारे। बिरला को हमेशा बडे अंतर से जीत मिली लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार उनका जीत का मार्जिन बहुत कम रहा। और शायद इसीलिए बिरला इस बार ज्यादा से ज्यादा समय दिल्ली की जगह अपने संसदीय क्षेत्र में जनता को दे रहे हैं।
जहां तक बिरला की लगातार जीत के पीछे का सवाल है उनकी राजनीति से परे आम जनता के लिए उपलब्धता रही है। यहां तक कि बिरला की गैर मौजूदगी में उनके परिवार के सदस्य यह जिम्मा संभालते हैं। उनके बड़े भाई राजेश बिरला तो सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से कोटा संसदीय क्षेत्र की जनता से जुडे हुए हैं।
शिक्षा नगरी कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों के कम आने से रोजगार का संकट गहराने की चर्चा को ओम बिरला ने गंभीरता से लिया और रोजगार के साधन मुहैया कराने के प्रयास शुरू कर दिए। कोटा में नए औद्योगिक क्षेत्र डेवलप करने की दिशा में कदम उठाते नजर आ रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष के पहले कार्यकाल की जिम्मेदारियों की वजह से वह कोटा संसदीय क्षेत्र में पूर्व की तरह का समय नहीं दे पा रहे थे। इस वजह से भी जनता से उनका सीधा संपर्क कुछ कम हुआ। चुनाव में जीत का अंतर कम होने का एक कारण यह भी माना जा रहा है। लेकिन इस बार बिरला कोई कमी नहीं छोड रहे।
बिरला ने कोटा संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए अपने अपने संसद के दूसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार से धन मुहैया कराया जिससे कोटा शहर में विकास कार्य हो सकें।
गर्मी में गरीबों के पैरों में जुते और चप्पल पहनना, सर्दी में गर्म कपड़े बांटना और बरसात में गरीबों के घरों में छप्पर पहुंचाने जैसे कार्य से बिरला की संसदीय क्षेत्र के लोगों तक सीधी पहुंच है। ओम बिरला की चुनावी सफलता में उनका अपने कार्यकर्ताओं को एक जुट रखने का बहुत योगदान है। इसीलिए उन्हें भाजपा संगठन में चुनाव प्रबंधन का विशेषज्ञ माना जाता है।
उनकी कार्यकर्ताओं में ओम जी भाई साहब के नाम से पहचान है। यहां तक कि कार्यकर्ताओं के अपने पारिवारिक सुख-दुख में शामिल होते हैं। यही वजह है कि चुनाव के वक्त भाजपा का कार्यकर्ता ओम बिरला को जिताने में तन मन धन से जुटता है।
जब ओम बिरला लोकसभा के पहली बार अध्यक्ष बने तब अपने संसदीय क्षेत्र के हजारों लोगों को संसद भवन के का दौरा कराया और दिल्ली में उनकी मेजबानी में कोर कसर नहीं छोडी। इनमें अधिकांश का मानना था कि उनके लिए संसद भवन को देखना एक सपना ही था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)