हम पे टूटा है क़हर सूरज का। हम पे गुज़री है शब क़यामत की।।

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फोटो अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

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शकूर अनवर

बात समझो न इसको हैरत की।
अब ये दुनिया नहीं मुहब्बत की।।
*
तुमने ज़ालिम से दोस्ती रक्खी।
हमने मजलूम की हिमायत की।।
*
दिल को समझा-बुझा के बैठ गये।
“जब तेरी चाहतों ने हिजरत* की”।।
*
शायरी में अलग ही तेवर हो।
कोई आवाज़ हो बग़ावत की।।
*
हम पे टूटा है क़हर सूरज का।
हम पे गुज़री है शब क़यामत की।।
*
हर सितम आपका सहा “अनवर”।
क्या कभी आपसे शिकायत की।।
*
शब्दार्थ:-
हिज़रत*पलायन
क़हर*प्रकोप
शकूर अनवर
9460851271

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