
– विवेक कुमार मिश्र

चाय पीते हैं
चलों आज कुछ मित्रों के साथ चाय पीते हैं
इस तरह आदमी
एक बड़ी और अर्थ से भरी दुनिया में आ जाता है,
मित्रों के साथ मित्रों की चाय
दुनिया की सबसे सुंदर चाय होती है
हो सकता है कि आप अकेले भी चाय पी लें
बहुत कुछ सोचते हुए भी चाय पी लें
पर इस तरह से जो चाय होती है
वह चाय की दुनिया को
चिंतन की दुनिया बना देती है
पर यह भी सच है कि जो अकेले चाय पीते हैं
वे एक खास अर्थ में चाय के साथ डूब जाते हैं
चाय भी उनके लिए पहचान और अस्तित्व का
एक बड़ा स्रोत हो जाती है
यह आपको तय करना होगा कि
आप कैसे और किस तरह से दुनिया को देखते हैं
यदि अकेले भी चाय पीते हैं
तो चाय को चाय की तरह ही पीते हैं
पर यह भी सच है कि जब मित्रों के साथ
चाय पीते हैं तो आप केवल चाय भर नहीं पीते
चाय के साथ आपके पास दुनिया होती है
मित्रों का संसार और ऐसा बहुत कुछ होता है
जिसे जीना कहते हैं
मित्रों के साथ चाय का ज़ायका ही
कुछ और हो जाता है
अनगिनत बातों की दुनिया
किस्से कहानियां सब चाय पर ही
उतरने लगती हैं चाय के साथ ही हम सब
एक दूसरे की दुनिया में
बातों और बातों की धड़कनों में आ जाते हैं
चाय के साथ ही
एक दूसरे की खुशियां
और कौन किस तरह से चलता है,
कौन क्या करता है
ये सब जानना और समझना है
तो मित्रों के साथ मित्रों के संसार में चाय पीजिए
जीने का और जिंदगी का…
सुंदरतम रूप आंखों के आगे सहज ही आ जाता है।
– विवेक कुमार मिश्र