सोने-सी है यह उम्र तुम्हारी

-रानी सिंह-

rani singh 01
रानी सिंह

मत भूलना उम्र के इस दौर को तुम
गुज़र रहे हो अभी
जिस उम्र से तुम
यह जुनूनी है सबसे ज्यादा
इसमें जोश है बेइंतहा
सोने-सी है यह उम्र तुम्हारी

मेरे बच्चे!
मत रखना इसे भूले से भी
नफ़रत की आँच पर
घृणा की ताव पर
कि जलकर होगा सब राख-राख
घिर आएगा अंधेरा घना
सूझेगा न कोई रास्ता

जली लकड़ियों की राख
तो फिर भी आ जाती है काम
बरतन चमकाने के
पर जली जो प्यारे!
यह उम्र तुम्हारी
तो इस राख से
चमक सकेगा न भविष्य तुम्हारा
संवर सकेगा न जीवन तुम्हारा।

©️ रानी सिंह

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments