-रानी सिंह-

मत भूलना उम्र के इस दौर को तुम
गुज़र रहे हो अभी
जिस उम्र से तुम
यह जुनूनी है सबसे ज्यादा
इसमें जोश है बेइंतहा
सोने-सी है यह उम्र तुम्हारी
मेरे बच्चे!
मत रखना इसे भूले से भी
नफ़रत की आँच पर
घृणा की ताव पर
कि जलकर होगा सब राख-राख
घिर आएगा अंधेरा घना
सूझेगा न कोई रास्ता
जली लकड़ियों की राख
तो फिर भी आ जाती है काम
बरतन चमकाने के
पर जली जो प्यारे!
यह उम्र तुम्हारी
तो इस राख से
चमक सकेगा न भविष्य तुम्हारा
संवर सकेगा न जीवन तुम्हारा।
©️ रानी सिंह
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