-माला सिन्हा-

कुछ अलग अलग से चेहरे हैं
झमाझम बारिशों के
मुस्कुराती सुबह की खिली धूप
अलसायी दोपहर की गर्माहट
भीगी शाम में चाय की चुस्कियों संग
गरम समोसे,पकौड़ियों की तीखी ख़ुशबू
बालकनी के छज्जों से टपकती बूंदों का संगीत
या रात की बरसाती हवा की सिहरन में
आरामदेह बिस्तरों की सुखद नींद !
अपने नाम को मुँह चिढ़ाती
सुखिया के लिए खिली धूप का मतलब
गीली लकड़ियों को सुखाने की जद्दोज़हद
आती जाती बारिशों के बीच
छणिक धूप को ललकती आँखें
सीलन भरी अनेकों बदरंग,
पैबंद लगी कथरियों को
धूप में गर्माने की भागदौड़
या प्लास्टिक ढंके छीजे खपरैल से
अनवरत हहराते पानी को
कातर नजरों से ताक
झोपड़ी के किसी कोने में अपने कुनबे का,
पेट भरने के लिए के लिए
चूल्हे के जिद्दी धुंए से उलझना !!
वह अनजान है
मुस्कुराती रिमझिम बारिशों से
गरम चाय की चुस्कियों से
करारी पकौड़ियों, समोसों की तीखी ख़ुशबू से
छज्जे से टपकती बूंदों के संगीत से
बरसाती रातों की ठंढी हवा की सिहरन में
गर्म बिस्तरों की सुखद नींद से
गीली माटी की भीत से उठंग कर बैठी
पिछली बारिश में मरे बैलों के नुकसान से
जोड़ तोड़ बैठाती,रात काट देती
उसकी आँखों में चिंता है
आने वाले कल की
वह डरती है बारिश के विकराल चेहरे से
एक शुन्य व्याप्त है उसके इर्द गिर्द
उस शुन्य में छिपें हैं कुछ अनुत्तरित से प्रश्न
सुखिया के लिए बारिश
क्या कभी बदलेगी अपना रूप ….?
माला जी
बहुत खूब
theopinion.one