
-कृष्ण बलदेव हाडा-

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तीन नवम्बर को बारां का दौरा प्रस्तावित है। यहां वे कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद एक जनसभा को संबोधित करेंगे लेकिन मुख्यमंत्री के बारां आने से पहले ही जिला कलक्टर सहित अन्य सभी
जिला स्तरीय आला अफसरों की आंखों के सामने जिले के प्रशासनिक मुख्यालय मिनी सचिवालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर व्यापक पैमाने पर हो रहा मिट्टी का अवैध खदान का मसला मीडिया की सुर्खियों में आने से बवाल खड़ा हो गया है।
प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक-प्रशासनिक ढांचे में खुले आम अवैध खनन होना नई या आश्चर्यजनक बात नहीं है क्योंकि बीते कई सालों से नदियों से लेकर अरावली की पहाड़ियों तक अवैध खननकर्ताओं के लिये नदियों की गहराइयां और पहाड़ियों की ऊंचाइयां बराबर रूप से धन कूटने की खाने साबित हो रही है। ताज्जुब तो इस बात का है कि बारां जिला मुख्यालय में जिला स्तर के अफसरों के ठीक सामने खान माफिया अवैध खनन का दुस्साहस कर रहे हैं और वह भी तब जब राजस्थान के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया इसी जिले की बारा-अंता विधानसभा सीट से चुने जाकर मंत्री बने हैं।
ताज्जुब भरी प्रशासनिक अनदेखी-शह दर्शाती मंत्री की मौजूदगी से कहीं अधिक ताज्जुब इस बात पर होता है कि बारां जिले के सोरसन अभयारण्य से लेकर चंबल-बनास नदियों की गहराइयों को अवैध खनन कर और गहराया जा रहा है,अरावली पर्वत श्रृंखलाओं को जमीन पर पाटा जा रहा है और यह सब बाते एक बार नहीं बल्कि कई-कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत के ध्यान में लाई जा चुकी है लेकिन अफसर अपनी जगह जमे रहते हैं और खान के साथ गोपालन मंत्री भी रहने वाले प्रमोद जैन भाया तो कामधेनु की तरह अक्षुण है ही जबकि अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में सार्वजनिक निर्माण मंत्रालय में कई गबन-घोटाले सामने आने के बाद इसी मंत्रालय को संभाल रहे प्रमोद जैन भाया को मंत्री पद से हटा दिया था।
खान मंत्री प्रमोद जैन भाया के ‘अगले साल विधानसभा चुनाव होने के कारण’ ही अक्षुण ही बने रहने की उम्मीद है। उनके मंत्री पद पर सबसे बड़ा संकट तीन महीने पहले जुलाई में उस समय आया था जब कुछ अवैध खनन माफिया भरतपुर जिले में एक पवित्र ब्रज क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अरावली की पहाड़ियों को खोदकर बहुसंख्यक हिंदू धर्मावलंबियों की आस्थाओं को चोट पहुंचा रहे थे और इसके खिलाफ साधु-संतों तक ने एक जुट होकर 551 दिन तक लम्बा धरना दिया था लेकिन जब धरने से भी बात बनती नहीं दिखी तो भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र के एक महंत विजय दास बाबा (60) ने अपने शरीर पर केरोसिन छिड़ककर आत्मदाह कर लिया था लेकिन इतना दुर्भाग्यजनक घटनाक्रम महज मीडिया की सुर्खियां बन कर ही रह गया। प्रमोद जैन उस समय भी खनन मंत्री थे और अभी भी हैं। अगर कोई नहीं है तो वह है- ब्रजभूमि की पवित्र पहाड़ियां और भरतपुर के ड़ीग क्षेत्र के पशुपतिनाथ मंदिर के महंत बाबा विजय दास।
बाबा विजय दास के आत्मदाह के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकारों को बताया था कि राज्य के सभी जिला कलक्टरों को निर्देश दे दिए गए हैं कि खनन माफियाओं को चिन्हित कर सख्त कार्यवाही की जाए लेकिन वस्तु स्थिति में ऐसा न तो किया जाना था और न ही किया गया। किया होता तो बारां में प्रशासनिक मुख्यालय मिनी सचिवालय से कुछ किलोमीटर या कुछ फर्लांग नहीं बल्कि कुछ मीटर दूर ही खान माफिया मिट्टी नहीं खोद रहे होते और कलक्टर यह नहीं कर रहे होते कि-‘ ऐसी कोई शिकायत मिली नहीं है, अब कल सुबह दिखाएंगे। ‘
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं यह लेखक के अपने विचार हैं)