
-धीरेन्द्र राहुल-

कोटा में नाइट टूरिज्म विकसित करने की नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की घोषणा स्वागत योग्य है। इसके लिए रात्रि में बस भी चलाई जाएगी।
इस घोषणा को जल्द से जल्द मूर्त रूप दिया जाए तो अच्छा है लेकिन अभी कोटा में क्या हो रहा है? पुलिस कोटावासियों के साथ क्या सलूक कर रही है, इस पर भी मंत्रीजी को गौर करने की आवश्यकता है।
किशोर सागर तालाब कोटा की जान है, शान है। उमस से परेशान लोग सुकून की तलाश में सैकड़ों की तादाद में रात होते ही तालाब की पाल पर आकर बैठ जाते हैं। तेज ठंडी हवाओं के बीच झिलमिल रोशनी का आनन्द ले रहे होते हैं कि रात साढ़े दस ग्यारह बजे के बीच पुलिस की जीप आती है और डंडा फटकारने लगती है कि ‘ ‘घर जाओ, घाट खाली करो।’
ऐसे ही आप अगर आप राजकीय महाविद्यालय के सामने शानदार फुटपाथ पर लगी लकड़ी की बैंच पर बैठकर या लेटकर मोबाइल में झांक रहे हैं तो पुलिस की जीप आकर आपके पास रूकेगी। पुलिस का जवान आपसे आकर कहेगा
‘अंकल जी रात हो गई है, घर जाइए। कोई आपसे मोबाइल छीन ले जाएगा।’
इसी प्रकार आप गुमानपुरा में बाबू टी स्टाॅल पर रात को चाय की चुस्कियों का आनन्द ले रहे हैं। मित्रों के साथ गपशप कर रहे हैं , तभी पुलिस की जीप वहां आकर रूकेगी। पुलिस वाले गाड़ी में बैठे बैठे ही चिल्लाएंगे, ‘भैया बंद कर।’ दुकानदार लाइटें बंद करता है। मस्ती से गप्पें लड़ा रहे लोगों को भी फटकारेंगे कि आप भी अब घर जाइए। पुलिस का यह रोज का काम है।
एक दिन मैंने जीप में बैठे पुलिस अधिकारी से कहा कि लोगों को बेतकुल्लफी का आनन्द लेने दीजिए, क्यों इस काम में अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं। मैंने कहा कि ये लोग अपराध करने के इरादे से नहीं, मस्ती करने के इरादे से, सुकून की तलाश में आए लोग हैं। इनके आनन्द में खलल न डालिए तो पुलिस अधिकारी बोला कि ऊपर से ही ऐसे आदेश हैं।
मैं कई दिनों से ढूंढ रहा था कि आखिर वह ऊपरवाला कौन है? धारीवाल जी आप से बड़ा ऊपरवाला कोटा में कौन है? यह डण्डा फटकार संस्कृति बंद करवाइए।
पुलिस से यह भी पूछिए कि पिछले एक साल में किशोर सागर तालाब की पाल पर, बाबू टी स्टाॅल के सामने, गुमानपुरा और छावनी चौपाटी पर और राजकीय महाविद्यालय के सामने के फुटपाथ पर कितने अपराध घटित हुए हैं? अगर कोई आंकड़ा सामने आता है तो उसे भी सार्वजनिक किया जाए।
महाराष्ट्र के शहरों में दिन में वाहनों की भारी भीड़ और पार्किंग न होने से यातायात जाम की स्थिति को देखते हुए सरकार ने चौबीस घंटे मार्केट खुला रखने की व्यवस्था की है ताकि लोग रात में भी शापिंग कर सके। तब उन्हें भीड़ और चक्काजाम का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अब वहां गेंद व्यापारियों के पाले में हैं कि वे रात को दुकान खुली रखना भी चाहते हैं या नहीं और खुली रखना चाहते हैं तो कब तक? अब वहां पुलिस वाले तय नहीं करते।
बॉलीवुड के जाने माने गीतकार पंकज प्रसून ने कहा था कि ‘ मुम्बई रात भर जागती है जबकि दिल्ली वाले रात 11 बजे सो जाते हैं।’
मुम्बई की आबादी ढाई करोड़ है, वहां की पुलिस अपराधों को कैसे मैनेज करती है?
जबकि हम सत्रह लाख की आबादी के कोटा शहर में नहीं कर पा रहे हैं? पुलिसिंग के तरीके बदलने होंगे, तभी कोटा बन पाएगा पर्यटक शहर।
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